फर्रुखाबाद: जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी ने खण्ड विकास अधिकारियों को 30 अगस्त को निर्देश दिये थे कि उनके क्षेत्र में अब तक बनवाये गये स्वच्छ शौचालयों का दो दिन के अंदर स्थलीय निरीक्षण करके दें। इसके साथ ही स्वच्छ शौचालयों का प्रति दिन स्थलीय निरीक्षण कर फोटोग्राफी करवाकर मुख्य विकास अधिकारी के पास जमा करायें। जिस पर 5 सितम्बर तक अधिकांश ग्रामों से सत्यापन रिपोर्ट नहीं आयी। जिसके बाद मुख्य विकास अधिकारी ने 6 सितम्बर को दिये गये पत्रांक में 6 सितम्बर को ही समस्त शौचालयों का स्थलीय निरीक्षण रिपोर्ट जिला पंचायत राज अधिकारी को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। मजे की बात है कि 6 सितम्बर को जारी किये गये पत्र की जब सम्बंधित अधिकारियों को जानकारी ही नहीं हो सकेगी तो फिर उसी दिन सत्यापन रिपोर्ट जमा कैसे हो सकती है। जिससे साफ जाहिर होता है कि शौचालयों के सत्यापन में मुख्य विकास अधिकारी मात्र खानापूरी कर लेना चाहते हैं।
डीएम ने 30 अगस्त को निर्देश दिये कि जनपद के 87 न्याय पंचायतों के लिए सेक्टर प्रभारी बनाकर जांच करायी जाये। सेक्टर प्रभारी के रूप में सहायक विकास अधिकारी, अवर अभियंता, खण्ड शिक्षा अधिकारियों को नामित किया जाये। सेक्टर प्रभारी सम्बंधित ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी के माध्यम से रोजगार सेवक व सफाईकर्मी से डिजिटल फोटोग्राफी करायी जाये। जिसके लिए कैमरा ग्राम पंचायत विकास अधिकारी उपलब्ध करायेंगे। उन्होंने कहा था कि रोजगार सेवक व सफाईकर्मी समस्त स्वच्छ शौचालयों का क्रमांक, निर्माण का वर्ष, लाभार्थी का नाम गेरू से अंकित करेंगे साथ ही लाभार्थी को खड़ा करके उसका फोटो लेने के भी निर्देश दिये गये। विभिन्न स्तरों से गुजरती हुई सत्यापन रिपोर्ट डिजिटल फोटोग्राफी के साथ प्रति दिन मुख्य विकास अधिकारी के पास जमा की जाये। सत्यापन के कार्य का जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा औचक निरीक्षण किया जायेगा। शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों पर कार्यवाही की जायेगी।
लेकिन अभी तक अधिकतर ग्रामों से सत्यापन रिपोर्ट नहीं भेजी गयी है। जिस पर मुख्य विकास अधिकारी आई पी पाण्डेय ने गुरुवार 6 सितम्बर को पत्र जारी करके निर्देशित किया कि 6 सितम्बर तक प्रत्येक दशा में सत्यापित शौचालयों की सूची डिजिटल फोटोग्राफ सहित अपने हस्ताक्षरों से जिला पंचायत राज अधिकारी को उपलब्ध करायें। इस कार्य में शिथिलता क्षम्य नहीं होगी। अब देखने वाली बात यह है कि 6 सितम्बर को मुख्य विकास अधिकारी द्वारा जारी किया गया पत्र जब 6 सितम्बर को सम्बंधित अधिकारियों को उपलब्ध ही नहीं हो पायेगा तो सत्यापन रिपोर्ट 6 सितम्बर को किस विधि से जमा हो सकती है। जिससे साफ जाहिर होता है कि मुख्य विकास अधिकारी मात्र कागजी खानापूरी में ही शौचालयों का सत्यापन निबटाना चाह रहे हैं।
वहीं ग्राम पंचायत अधिकारियों का कहना है कि जब उन्हें डिजिटल सत्यापन के लिए सीडी ही उपलब्ध नहीं करायी गयी तो वह अपने पैसे से सीडी खरीदकर नहीं दे सकते। जो भी हो सभी अधिकारी सत्यापन रिपोर्ट को कागजों में ही निबटाने में जुटे हुए हैं।