प्रधानमंत्री लाल किले पर झण्डा फहराएंगे, लेकिन आधा झुका रहेगा राष्‍ट्रीय ध्‍वज

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चेन्‍नई : महाराष्‍ट्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री और केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख का निधन हो गया है। देशमुख ने ग्‍लोबल अस्‍पताल में मंगलवार को दोपहर एक बजकर 40 मिनट पर अंतिम सांस ली। बुधवार को लातूर के पैतृक गांव में शाम को चार बजे उनका अंतिम संस्‍कार किया जाएगा। देशमुख के निधन के बाद अब स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर होने वाले सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराएंगे, लेकिन राष्‍ट्रीय ध्‍वज आधा झुका रहेगा।

देशमुख बीते सात अगस्‍त से अस्‍पताल में भर्ती थे। देशमुख का लीवर और किडनी खराब था। उनके ये दोनों ही अंग ट्रांस्‍प्‍लांट होने थे। इसके लिए एक डोनर भी मिल गया था, लेकिन अंग दान करने से पहले ही डोनर की मौत गई। देशमुख का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा ‘सभी राज्य सरकारें मदद करना चाह रहीं थी लेकिन हमें वक्त पर डोनर नहीं मिल पाया। आज भी हमें तीन ऑफर आए लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।’ मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा में नेता सदन सुशील कुमार शिंदे ने देशमुख के निधन की घोषणा की। इसके बाद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्‍थगित कर दी गई। विभिन्‍न राजनीतिक दलों के नेताओं ने देशमुख के असामयिक निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया है ।  देशमुख के निधन के बाद अब स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर होने वाले सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराएंगे, लेकिन राष्‍ट्रीय ध्‍वज आधा झुका रहेगा।

67 साल के देशमुख की तबीयत काफी समय से खराब थी। 7 अगस्‍त को उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई। तब उन्‍हें आनन फानन में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल से एयर एंबुलेंस के जरिए चेन्‍नई ले जाया गया था। वहां उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। विलासराव देशमुख और उनकी पत्‍नी वैशाली देशमुख के तीन बेटे हैं- अमित देशमुख, रितेश देशमुख और धीरज देशमुख। अमित देशमुख लातूर से विधायक हैं। रितेश देशमुख जानेमाने बॉलीवुड अभिनेता हैं।

विलासराव देशमुख का जन्‍म 26 मई 1945 को लातूर जिले के बाभालगांव के एक मराठा परिवार में हुआ था। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान और ऑर्ट्स दोनों में स्नातक की पढ़ाई की। पुणे के ही इंडियन लॉ सोसाइटी लॉ कॉलेज से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। विलासराव ने युवावस्था में ही समाजसेवा शुरू कर दी थी। उन्होंने सूखा राहत जैसे सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।

8 साल तक महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री रहे देशमुख की राजनीतिक पारी बतौर सरपंच शुरू हुई थी। 1974 में वह बाभलगांव के सरपंच बने। उसके बाद पंचायत समिति के सभापति, फिर जिला परिषद के अध्‍यक्ष बने। उन दिनों विलासराव युवक कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे।विलासराव अपने कार्यकाल के दौरान युवा कांग्रेस के पंचसूत्रीय कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में भी काम किया। विलासराव के पिता दगडोजीराव भी सरपंच थे। वह भी कट्टर कांग्रेसी थे। विलासराव के कांग्रेस से जुड़ने का एक कारण यह भी था। विलासराव का स्‍वभाव राजनीति के ही लायक था। वह सबके साथ सहजता से घुल-मिल जाते थे। अपने स्‍वभाव और काबिलियत के चलते वह सभी के चहेते बनते चले गए।

विलासराव महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा नाम था। वह महाराष्ट्र के राजनीति में कांग्रेस के सबसे अहम सिपहसलार माने जाते रहे। मुंबई में आज शायद ही कोई ऐसा बड़ा व्यावसायिक घराना होगा जिसके संबंध विलासराव देशमुख से अच्छे नहीं थे। कांग्रेस पार्टी के हमेशा से बड़े व्यावसायिक घरानों से बेहतर ताल्लुकात रहे हैं और शरद पवार को इसका सूत्रधार माना जाता था। लेकिन शरद पवार के कांग्रेस से निकलकर दूसरी पार्टी बनाने के तुरंत बाद विलासराव ने उनकी जगह को भरने सफलता पाई। शायद यही वजह रही‍ कि कांग्रेस को महाराष्ट्र में औद्योगिक घरानों का समर्थन मिला और विलासराव पर भी कांग्रेस की विशेष कृपा बनी रही।

1980 में शिवराज पाटील लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए, तब विलासराव को राज्‍य स्‍तर की राजनीति में मौका मिला। पाटील की जगह देशमुख को कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में उम्‍मीवार बनाया। उसके बाद से देशमुख ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। शिवराज पाटील द्वारा खाली की गई विधानसभा सीट के जरिए महाराष्‍ट्र की राज्‍य स्‍तरीय राजनीति में कदम रखने के बाद देशमुख 1980 से लगातार तीन चुनावों में विधानसभा के लिए चुने गए और विभिन्न मंत्रालयों में बतौर मंत्री कार्यरत रहे। इस दौरान उन्होंने गृह, ग्रामीण विकास, कृषि, मतस्य, पर्यटन, उद्योग, परिवहन, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, युवा मामले, खेल समेत अनेक पदों पर मंत्री के रूप में कार्य किया।

1995 में विलासराव देशमुख चुनाव हार गए लेकिन 1999 के चुनावों में उनकी विधानसभा में फिर से वापसी हुई और वो पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। लेकिन उन्हें बीच में ही मुख्यमंत्री की गद्दी छोड़नी पड़ी और सुशील कुमार शिंदे को उनकी जगह मुख्यमंत्री बनाया गया। अगले चुनावों में मिली अपार सफलता के बाद कांग्रेस ने उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाया। पहली बार विलासराव देशमुख 18 अक्टूबर 1999 से 16 जनवरी 2003 तक मुख्यमंत्री रहे जबकि दूसरी बार उनके मुख्यमंत्रित्व का कार्यकाल 7 सितंबर 2004 से 5 दिसंबर 2008 तक रहा।

मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के दूसरे कार्यकाल के दौरान मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हुआ। इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय राजनीति का रुख किया और राज्यसभा के सदस्य बने। उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई और उन्होंने भारी उद्योग व सार्वजनिक उद्यम मंत्री, पंचायती राज मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री के पद पर काम किया। अस्‍पताल में भर्ती होने से पहले देशमुख के पास साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी मंत्रालय के साथ भू-विज्ञान मंत्रालय की जिम्‍मेदारी थी। अस्‍पताल में भर्ती होने के बाद इन मंत्रालयों का जिम्‍मा केंद्रीय मंत्री वायलार रवि को सौंपा गया था। विलासराव देशमुख मुंबई क्रिकेट एशोसिएशन के अध्यक्ष भी थे।