फर्रुखाबाद: कहते हैं जहां राक्षस नहीं पहुंचता वहां नशीली आदतों को भेज देता है और फिर धीरे-धीरे व्यक्ति नशे का आदी बन अपना शरीर तो गंवाता ही है और साथ ही साथ अपराध की दुनियां में भी कदम रख देता है। ज्यादातर चोरी इत्यादि के मामलों में नशे के आदी व्यक्तियों का हाथ पाया जाता है। जो नशे में धुत्त होकर बगैर किसी डर के चोरी इत्यादि की घटना को अंजाम दे देते हैं और पुलिस नशेड़ी समझकर दो चार गालियां सुनाकर छोड़ देते हैं। नतीजन फिर वह व्यक्ति पुनः नई घटना को अंजाम देने के लिए प्रेरित हो जाता है। शहर में स्मैक व अन्य गैर कानूनी नशीले पदार्थों का व्यापार धड़ल्ले से जारी है। इसके बावजूद भी पुलिस कोई भी कार्यवाही करने के लिए विचार नहीं कर रही है। अब नशेड़ी को पकड़कर अगर उसके द्वारा खरीदकर लाने वाली स्मैक व अन्य पदार्थों को बेचने वाले लोगों के बारे में जानकारी की जा सकती है। या तो पुलिस ऐसा करना नहीं चाहती या उसकी जानकारी में यह सब कारोबार धड़ल्ले से चल रहे हैं और पुलिस अपनी जेबें भर रही है।
शहर में सैकड़ों की संख्या में स्मैक, चरस, ड्रग्स आदि गैर कानूनी नशीले पदार्थों का सेवन बदस्तूर विधिवत किया जा रहा है। लेकिन आज तक किसी स्मैक कारोबारी पर पुलिस हाथ डालना तो दूर पूछताछ करना तक मुनासिब नहीं समझती। जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। बर्बाद हो रहा है तो आम आदमी। जिसे नशे की लत लगाकर भूखे भेड़िये की तरह नोचा जाता है। क्योंकि जब उसे नशे की आदत पड़ जाती है तो धीरे-धीरे वह अपना सब कुछ बेचकर नशे में लुटा देता है। हाथ लगती है सिर्फ कंगाली और दर्दनाक मौत। इसका शव किसी अस्पताल या रेलवे स्टेशन पर अज्ञात व्यक्तियों के पंक्ति में पड़ा पाया जाता है। आखिर कब तक पुलिस इन जाने समझे धन्धों पर अंकुश लगा पायेगी……………….