कौन बनेगा चेयरमेन: बसपा के साथ मनोज के साथियो ने भी झाड़ा पल्ला

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फर्रुखाबाद: गत विधानसभा चुनाव में अपनी दुर्गति देख चुकी बहुजन समाज पार्टी फूक फूक कर कदम रख रही है| सूत्रों से मिली खबर के अनुसार बसपा हाई कमान से केवल जिताऊ प्रत्याशियो के लिए ही समर्थन घोषित करने का फरमान हुआ है| विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार की कालिख का परिणाम झेल चुकी बसपा नगरपालिका चुनाव में ताजा ताजा फजीहत नहीं चाहती| बसपा सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक फर्रुखाबाद और कायमगंज दोनों नगरपालिका में बसपा का समर्थन मांगने वाले प्रत्याशी प्रथम श्रेणी (जीतने की हैसियत) में नहीं है| इसीलिए बसपा ने फर्रुखाबाद और कायमगंज में नगरपालिका प्रत्याशियो को न तो समर्थन दिया और न ही पार्टी समर्थित कार्यकर्ता को कोई आदेश|

बसपा की इस फरमान से फर्रुखाबाद में दौलत के सहारे बसपा के झंडे पर राजनीति करने वाले मनोज अग्रवाल के लिए नगरपालिका का चुनाव मुश्किल भरा हो सकता है| बसपा सूत्रों के मुताबिक बसपा का कैडर भी अपनी उपेक्षा और अनदेखी से मनोज से खफा है| फाइव स्टार राजनीति बसपा के निचले कैडर को रास नहीं आई और इसकी रिपोर्ट बसपा हाई कमान तक पहुच गयी है|

मतलबपरस्त और फाइव स्टार राजनीति से दोस्त बने दुश्मन-

करोडो खर्च करके विधान परिषद् में सीट खरीदने वाले मनोज से उनके सबसे करीबी और नजदीकी भी उनकी जड़े खोदने के लिए तैयार बैठे है| कभी बचपन के दोस्त रहे सर्राफ और भट्टा व्यवसायी राजीव अग्रवाल ने भी मनोज को हरा कर सबक सिखाने की बात जेएनआई से कही है| राजीव का आरोप है कि मनोज अग्रवाल जीतने के बाद चंद बनियों को साथ लेकर भी न चल सके, अन्य बिरादरी की बात ही छोड़ दो| गिने चुने 4 सजातियो ने मिलकर सारे काले कारोबार किये| नगरपालिका के दोहन और धन उगाही में भी वाही काम आये| शहर भर में नजूल, विवादित और वक्फ की जमीनों के हुए सौदों में बेनामी हिस्सेदारी और उनकी प्लाटिंग के साथ साथ नगरपालिका के विकास का पैसा उन्ही कालोनियों में पहले लगाया गया| जनता के साथ मनोज ने न केवल धोखा किया बल्कि अपना विश्वास और ईमान भी खोया| इसका नतीजा इस चुनाव में उन्हें भुगतना पड़ेगा| राजीव के मुताबिक जब मनोज पर नाले की तरफ से हमला हुआ था और शहर भर का पंडित इक्कट्ठा हुआ था| मनोज अग्रवाल तब अपने घर से बाहर ड्राइंग रूम तक नहीं निकल रहे थे| तब मनोज का कहना था कि ब्रह्मण तो मजबूरी में आया है, क्या बाहर निकल कर इस शहर को पंडितो से लुटवा दे| ये जायेगा कहा?

मनोज के किचेन केबिनेट के सहयोगी रहे विक्रम अग्रवाल का भी यही दर्द है| विक्रम के मुताबिक जनता ने एक पढ़े लिखे नौजवान को नगर के विकास को ईमानदारी से करने के लिए जिताया| मगर मनोज ने एक शातिर व्यापारी की तरह नगरपालिका का इस्तेमाल अपना काला धन बढ़ाने के लिए किया| राजनीति में आने के बाद सम्पत्तियां कहाँ से बढ़ने लगी| अपने निजी फायदे के लिए मनोज ने सहयोगियो से भी किनारा किया| मनोज को मंच माला और माइक से लगाव हो गया| जिस आदमी को चौक पर खुलेआम खड़े होकर जनता के बीच आने में हिचक लगती हो उसे जनता की राजनीति करने का हक़ नहीं|

नगरपालिका चुनाव में राजनीति कब किस करवट बैठे कोई नहीं कह सकता| यहाँ न विकास नारा है और न भ्रष्टाचार| कौन हराओ की तर्ज पर होते रहे चुनाव में इस बार नाला ही नहीं चौक भी निशाने पर दिख रहा है|