नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के युवाओं में बढ़ रही नशे की लत पर गहरी चिंता जाहिर की और युवाओं को चेताते हुए कहा कि ड्रग्स लेना बिल्कुल भी ‘कूल’ नहीं है।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग को एक टैबू नहीं माना जाना चाहिए, लेकिन इस मुद्दे से निपटने के लिए एक खुली चर्चा की आवश्यकता है।
जस्टिस नागरत्ना ने चेतावनी देते हुए कहा कि ड्रग्स इस्तेमाल के सामाजिक और आर्थिक खतरों के साथ ही मानसिक खतरे भी हैं। इससे देश के युवा वर्ग की चमक खो सकती है।पीठ ने युवाओं में बढ़ रही नशे की लत के खिलाफ तुरंत सामूहिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत ने माता-पिता, समाज और सरकारों से मिलकर इस समस्या के खिलाफ लड़ने को कहा। पीठ ने कहा कि ड्रग्स का असर उम्र, जाति और धर्म से परे हैं और इसके पूरे समाज और व्यवस्था पर गंभीर परिणाम होते हैं। ड्रग्स से होने वाली कमाई से ही आतंकवाद और समाज को अस्थिर करने के लिए फंडिंग होती है। पीठ ने समस्याओं से भागने वाले रवैये पर चिंता जताते हुए कहा कि इस गंभीर खतरे के खिलाफ सभी को एकजुट होना पड़ेगा। खासकर युवाओं से इस चुनौती से निपटने के लिए प्रयास करने की अपील की। पीठ ने कहा कि नशे के शिकार व्यक्ति के साथ सहानुभूति और प्यार से पेश आने की जरूरत है। ड्रग तस्करों की कमाई पर प्रहार करने की जरूरत है। ड्रग्स का महिमामंडन बंद होना चाहिए और इसके खतरों के प्रति युवाओं को जागरुक किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह टिप्पणी तब आई जब पीठ पाकिस्तान से भारत में 500 किलोग्राम हेरोइन की तस्करी के मामले में आरोपी एक व्यक्ति की तरफ से दायर जमानत याचिका पर फैसला सुना रही थी।