भ्रष्ट अधिकारियों की जेब गीली कर नागरिकों के गले की फांस बने हैं खराब पड़े हैंडपम्प

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फर्रुखाबाद: जल निगम की यह लापरवाही की जिंदा मिशाल है कि भीषण गर्मी के बावजूद शहर के दर्जनों हैन्डपम्प खराब पड़े हैं। जिससे कई मोहल्लों में नागरिक पानी की दिक्कतों से जूझ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ जलनिगम की गोदाम में हजारों की संख्या में नये नल धूल खा रहे हैं।

कमीशनखोरी और दलाली के मामले में जलनिगम भी अपने को किसी से कम नहीं आकता। शहर में खराब पड़े नलों की शिकायत लेकर जब लोग जलनिगम के कार्यालय गये जहां उन्हें टेबिल दर टेबिल भटकना पड़ा। किसी ने कुछ कहकर तो किसी ने कुछ कहकर उन लोगों को टरका दिया। जिसके नतीजन सभी मोहल्लेवासी शांत होकर बैठ गये।

गर्मी का प्रकोप जारी है। ऐसे में भी जलनिगम इस स्थिति पर विचार करने को शायद बिलकुल तैयार नहीं है कि शहर में कुछ नल खराब पड़े हैं। उसे तो बस विभाग में आये व्यक्ति के द्वारा बगैर पैसे के काम करना आता ही नहीं। पैसे दे दिये तो नल मंजूर हो गया और अगर बाबू जी की जेब गरम नहीं की तो खराब नल भी वर्षों एक वासर के इंतजार में पड़ा रहता है।

जेएनआई ने कुछ नलों का सर्वे किया तो जो नतीजा सामने आया उसमें यह है कि कहीं तो एक ही जगह पर दो-दो नल ठोंक दिये गये और कहीं खराब नल को सुधारने तक का टाइम जल निगम के पास नहीं है। टाउनहाल स्थित जल निगम की गोदाम में हजारों नये नल लगने के इंतजार में धूल फांक रहे हैं। शहर में बड़ी पानी की किल्लत से जल निगम भी भलीभांति परिचित होगा इसमें कोई दोराय नहीं। लेकिन यह लोग तो ग्राहक का इंतजार करते हैं। किसी नल का एक पाइप खराब है तो किसी नल की बोरिंग खराब है। लोगों ने बताया कि इस बात की शिकायत हम लोगों ने अधिकारियों से की तो फिर पानी की जगह आश्वासन ही मिला।

शहर के बूरा वाली गली में, आईटीआई के पास बार्ड नम्बर 18, श्यामनगर क्रासिंग, बढ़पुर हीरोहाण्डा एजेंसी के पास आदि दर्जनों एसी जगह हैं जहां पर हैन्डपम्प वर्षों से खराब पड़े हैं। जिन्हें कोई देखने वाला नहीं है।

हद तो तब हो गयी जब देखा गया कि बद्री विशाल के सामने एमएलसी व पूर्व चेयरमैन मनोज अग्रवाल की ट्रैक्टर एजेंसी के सामने व लोहिया अस्पताल के इमरजेंसी गेट के बाहर नल खराब मिले। लोहिया अस्पताल के इमरजेंसी में सांसद निधि द्वारा लगाया गया वाटर सिस्टम वर्षों से खराब है तो वहीं अस्पताल के बाहर लगा हैन्डपम्प भी पानी छोड़ गया है। जिससे मरीजों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। लेकिन इससे जल निगम पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। क्योंकि उन्हें तो बस पैसे लेकर काम करने की आदत पड़ गयी है।