फर्रुखाबाद: भीषण शीत लहर में कड़ाके की ठंड के बीच 4° सेंटीग्रेड से भी कम तापमान पर सोमवार को मासूम बच्चों को स्कूल जाते देख कई अभिभावकों को रोना आ गया। मौसम की विभीषिका से अनजान मासूमों को रिक्शा या टैंपू पर सनसनाती सर्दे हवाओं में ठिठुरन के बावजूद शरारतें करते देख किसी को भी तरस आ सकता है। विगत कई दिनों से जारी इस शीत लहर को देखते हुए आस पास के कई जनपदों के जिलाधिकारियों ने पहले ही स्कूलों में अवकाश की घोषणा कर दी थी, जनपद के कई शिक्षक व अभिभावक संगठन भी डीएम से स्कूलों को बंद करने की मांग कर रहे थे। इसके बावजूद जिलाधिकारी फर्रुखाबाद ने कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिये तीन दिन की छुट्टी के आदेश सोमवार को प्रात: आठ बजे जारी किये। तब तक अधिकांश निजी स्कूलों में अटेंडेंस तक हो चुकी थी। डीएम के आदेश के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी स्कूलों के प्रबंधकों को फोन पर डीएम के आदेशों की जानकारी देते रहे, परंतु विद्यालय को दुकान व शिक्षा को कारोबार बना चुके शिक्षा माफिया के आगे बीएसए की कौन सुनता है। सबसे मजेदार जवाब तो डीआईओएस आरपी शर्मा ने दिया। श्री शर्मा ने बताया कि उनको डीएम के आदेश की जानकारी ही नहीं है। कार्यालय पहुंचने पर देखूंगा यदि कोई आदेश इस प्रकार का है तो कार्रवाई की जायेगी।
जहां आम जन जीवन भीषण ठण्ड में बेहाल है वहीं सर्द हवाओं व कोहरे के बीच मासूम बच्चों को स्कूल जाना पड़ा। ऐसे में अभिभावक भी न चाहते हुए भी अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मजबूर हुए और प्रशासन व स्कूल प्रबंधकों को कोसते रहे। वहीं छोटे मासूम बच्चे रिक्शे व टेंपों पर सवार होकर बिना ठंड व सर्द हवाओं की परवाह किये भारी बस्तों के साथ स्कूल पहुंचे। लेकिन स्कूल प्रशासन एवं जिला प्रशासन को इन बच्चों की कोई परवाह नहीं दिखी। कई अन्य जनपदों के जिलाधिकारियों द्वारा छोटे बच्चों के स्कूलों की छुट्टी के बावजूद स्थानीय जिला प्रशासन ने इनकी खबर नहीं ली और जब सोमवार को बच्चे स्कूल पहुंच गये तब कहीं जिलाधिकारी फर्रुखाबाद ने कक्षा एक से कक्षा आठ तक के बच्चों की तीन दिन की छुट्टी के आदेश दिये। अधिकांश विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों व प्रबंधकों को इस बात की जानकारी नहीं हो सकी। फिर भी बेसिक शिक्षा अधिकारी स्कूल प्रबंधकों को जानकारी देते रहे। जो भी हो उन मासूमों को आज तो पूरे दिन ठिठुरना ही पड़ा।
शिक्षा को परचून की दुकान समझने वाले कई प्रबंधक तो छोटे बच्चों के कई स्कूलों को टीन सेड व खुले मैदान में पढ़ा रहे हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों में मान्टेसरी स्कूल झोपड़ी, टीन सेड व खुली हवा में चलते देखे जा सकते हैं। ऐसे में उन मासूम बच्चों का क्या होगा जो खुले मैदान में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। उन मान्टेसरी स्कूलों में सर्दी या सर्द हवाओं से बचाव का कोई साधन नही है। इस पर शिक्षा विभाग की अब तक कोई नजर गयी है और न जाने वाली है क्योंकि भारी रकम मान्यता के नाम पर उन झोपड़ीनुमा विद्यालयों के प्रबंधकों से ले चुके होते हैं। ऐसे में उन ग्रामीण व नगरों के विद्यालयों की कमियों को कोई देखने वाला नहीं है। फिलहाल डीएम के आदेश के बाद छोटे बच्चों के स्कूल तीन दिन के लिए बंद कर दिये गये हैं।
इस सम्बंध में डीआईओएस आर पी शर्मा से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि अब तक डीएम साहब के आदेश की जानकारी नहीं हो सकी है। कार्यालय पहुंचकर देखूंगा। यदि इस प्रकार का कोई आदेश आया है तो अमल में लाया जायेगा। फिर भी यदि छोटे बच्चों के स्कूल खुले मिलते हैं तो प्रबंधकों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।