लखनऊ: अब छोटे शहरों में घटिया विकास कार्यो पर निकाय अध्यक्ष भी बराबर के दोषी माने जाएंगे। निकाय के अधिशासी अधिकारी व अभियंता के साथ ही नगर पालिका परिषद या नगर पंचायत अध्यक्ष पर भी दायित्व का निर्धारण किया जाएगा। राज्य में एक लाख से कम आबादी वाले सूबे के 578 छोटे शहरों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए आदर्शनगर योजना लागू है।
योजना के तहत पेयजल, सीवरेज, जल समूह संरचना, ड्रेनेज, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट (कूड़ा प्रबंधन), सड़कें व अन्य सार्वजनिक सुविधाओं के कार्य कराए जाते हैं। सरकार कुल लागत का 90 फीसदी बतौर अनुदान देती है। योजना के तहत होने वाले कार्यो की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में अब कार्यो की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख सचिव नगर विकास दुर्गा शंकर मिश्र ने नया आदेश जारी किया है। शासनादेश में कहा गया है कि कार्यो की गुणवत्ता कहीं भी अधोमानक (तय मानक के मुताबिक न होना) पाए जाने पर संबंधित निकाय के अवर अभियंता, अधिशासी अभियंता के साथ भी निकाय अध्यक्ष का भी दायित्व निर्धारित किया जाए।
जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वह सभी का दायित्व 30-30 फीसदी तय करते हुए अवस्थापना विकास के कार्यो की गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगे। निकायों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हर एक जिले में पीसीएस अधिकारी, प्रभारी स्थानीय निकाय भी होते हैं इसलिए घटिया निर्माण पाए जाने पर शेष दस फीसदी का जिम्मेदार उन्हें माना जाएगा। उप्र स्थानीय निकाय निर्वाचित अध्यक्ष महासंघ के अध्यक्ष मनोज पांडेय कहा कि जरूरी नहीं कि अध्यक्ष तकनीकी विशेषज्ञ हो, ऐसे में अभियंता जो स्टीमेट बनाकर कार्य कराते हैं उसे कोई अध्यक्ष कैसे जांच सकता है।