फर्रुखाबाद: प्रदेश शासन के उपसचितव गिरिजा शंकार त्रिवेदी की ओर से जारी नवीन शासनादेश के अनुसार मनरेगा के अंतर्गत एमआईएस (मैनेजमेंट इनफारमेशन सिस्टम) फीडिंग में लापरवाही बरतना संबंधित अधिकारियों व कर्मचिरयों को मंहगा पड़ सकता है। शासनादेश में कठोर कार्रवाई के साथ ही एफआईआर दर्ज कराये जाने के भी निर्देश दिये गये हैं।
मैनेजमेंट इनफारमेशन सिस्टम मनरेगा के क्रियांवयन समीक्षा का महत्वपूर्ण भाग है। इसके अंतर्गत वेबसाइट पर की जाने वाली आनलाइन फीडिंग को ही योजना के अंतर्गत आय-व्यय का प्रमाण माना जाता है। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर केंद्र सरकार बजट अवमुक्त करती है।
विगत 21 सितंबर की तिथि में प्रदेश शासन के उपसचितव गिरिजा शंकार त्रिवेदी की ओर से जारी नवीन शासनादेश में कहा गया है कि एमआईएस फीडिंग के त्रुटिपूर्ण पाये जाने पर इसे वित्तीय अनियमितता माना जायेगा एवं संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी जायेगी। उल्लेखनीय है कि एमआईएस की सही फीडिंग की जिम्मेदारी खंडविकास अधिकारियों/कार्यक्रम अधिकारियों व जनपद स्तर पर परियोजना अधिकारी डीआरडीए व मुख्य विकास अधिकारी की होती है। यदि कार्रवाई में ढिलाई पायी गयी तो संबंधित अधिकारियों को भी दोषी मानते हुए इनके विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज करा दी जायेगी।
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एमआईएस फीडिंग के परीक्षण व पर्यवेक्षण के लिये प्रतिमाह जनपद स्तर पर सर्वाधिक खर्चे वाली दस व न्यूनतम खर्च वाली पांच ग्राम पंचायतों की एमआईएस फीडिंग का मिलान किया जायेगा। ब्लाक स्तर पर भी इसी आधार पर मिलान किया जायेगा।