फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला)प्राचीन इतिहास व पुरातत्व के बारे में प्रायः कहा जाता है कि यह गड़े मुर्दे उखाड़ता है। लेकिन इतिहास का अध्ययन ज्ञान और प्रशिक्षण हमारा वर्तमान और भविष्य सुधारने में मदद करता है। उच्च स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में इतिहास विषय छात्रों के लिए वरदान साबित हो सकता है। मुद्रा विशेषज्ञ विभिन्न प्रकार के प्राचीन, मध्यकालीन सिक्कों, मुद्राओं, मोहरों आदि का अध्ययन के साथ-साथ उनका काल निर्माण और शासन निर्माण के विषय में भी जानकारी देते हैं। पुरातत्व विभाग पुराने ऐतिहासिक भवनों, सिक्कों, लेखों आदि को खोजकर उन्हें संरक्षित करता है। इसके लिए सरकार विभाग पर अरबों रुपये प्रति वर्ष खर्च करती है लेकिन इसके बावजूद भी फर्रुखाबाद जनपद में पुरातत्व विभाग की रीड़ ही टूटी हुई है। कई ऐतिहासिक इमारतें खण्डहर में तब्दील हो चुकी हैं। लेकिन काफी वादों के बाद भी आज तक उनका कोई रख रखाव व संरक्षण नहीं किया गया है।
फर्रुखाबाद को अपरा काशी के नाम से इस लिए जाना जाता है माधौपुर इलाके में 101 शिवमंदिर है, लेकिन अब इन मंदिरों के बारे में इलाके के लोगों को ज्यादा जानकारी नही हैं। पांडवेश्वरनाथ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना महाभारत काल में पांडवों ने की थी। माना जाता है कि इस शहर का जुड़ाव द्वापर और त्रेता युग से है, अज्ञातवास के दौरान पांडवों द्वारा यहां पांडवेश्वर नाथ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की बात कही जाती है| लेकिन आज पुराने शिवालये कहा तलाशने से भी नजर नही आते और जो आते है उनकी हालत खराब है| कई ऐतिहासिक स्थल भी खुद को शिला समक्ष अपने कल्याण के लिए किसी पगुधारी (राम) का इंतजार कर रहें हैं| अब जब संभल व चंदौसी में प्राचीन धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का सर्वेक्षण का कार्य शुरू हुआ है, तो फिर बात अपरा काशी की भी होनी चाहिए|
प्राचीन समय में फर्रुखाबाद व्यापार का प्रमुख केंद्र था| कारोबारी गंगा में जल मार्ग के द्वारा व्यापार करते थे और गंगा के किनारे स्थापित विश्रांत में शरण लेते थे| जहाँ नील का प्रमुख था| विश्रांतों के आस-आस के क्षेत्र में कई शिव मन्दिर थे| जो वर्तमान में किसी अवतार की प्रतीक्षा में अपने कल्याण की वाट जोह रहें हैं| वैसे तो सरकार के निर्देश पर लगभग पूरे प्रदेश में 100 सालों से अधिक प्राचीन धरोहरों के संरक्षण एवं विकास का कार्य पर्यटन विभाग व एएसआई द्वारा किया जा रहा है| लेकिन फर्रुखाबाद में अभी तक पर्यटन विभाग का कार्यालय ही नही था| कुछ समय पूर्व से ही कार्यालय फर्रुखाबाद में स्थापित किया गया है| वहीं सरकार के निर्देश पर फिलहाल पर्यटन विभाग नें पांडेश्वर नाथ मंदिर, कंपिल, श्रंगीरामपुर, संकिसा व नीम करोरी सहित अन्य कुछ स्थालों के विकास के प्रस्ताव पर कार्यवाही चल रही है| लेकिन जो प्राचीन धार्मिक स्थल गंगा के किनारों पर निर्मित किये गये थे उनके जीर्णोद्धार के लिए जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदारों की कोई रूचि नजर नही आती| जिसके परिणाम स्वरूप या तो यह खस्ताहाल हैं या फिर कब्जा कर लिए गये है| जिला पर्यटन अधिकारी मकबूल अहमद नें जेएनआई को बताया कि जिले के कुछ धार्मिक स्थलों के विकास के प्रस्तावों पर कार्य चल रहा है| अन्य प्राचीन स्थालों के विषय में जाँच कर प्रस्ताव भेजे जायेंगे|