लखनऊ: प्रदेश में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चकबन्दी प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। राजस्व विभाग ने शासनादेश जारी कर इस बात की पुष्टि की है। उत्तर प्रदेश के 29 जिलों के 137 गांवों में चकबंदी होगी। इनमें से 15 जिलों के 51 गांवों में पहले और 20 जिलों के 86 गांवों में दूसरे चक्र की चकबंदी होगी।प्रदेश में पहली बार चकबंदी की शुरूआत 1954 में मुजफ्फरनगर की कैराना तहसील व सुल्तानपुर जिले की खाना तहसील से हुई थी। इस सफल परीक्षण के बाद 1958 में चकबंदी को पूरे प्रदेश में लागू किया गया था।
क्या होती है चकबंदी:
ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार बढ़ने के साथ ही अक्सर जमीनों का बटवारा भी हो जाता है। इसके अतिरिक्त खरीदी गई जमीन और पैतृक जमीन अलग-अलग जगहों पर होती है। जिसके वजह से किसानों को खेती करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा अधिक समय होने के साथ ही गांवों में भूमि विवाद,सरकारी भूमि पर अतिक्रमण समेत कई शिकायतों की संख्या अधिक होने लगती है। जिसके कारण सरकार एक निश्चित समय के बाद चकबंदी कराती है।चकबंदी के तहत इधर-उधर बिखरे हुए खेतों को एक जगह किया जाता है, जिससे किसान आसानी से आधुनिक खेती कर सकते हैं चकबंदी होने से बिखरे हुए खेत एक जगह हो जाते हैं,खेत का आकार अधिक हो जाने से फसल लागत कम हो जाती है,खेत छोटे होने पर मेड़ में काफी भूमि बर्बाद हो जाती है,चकबंदी से यह जगह सुरक्षित रहती है,खेत बड़े हो जाने से आधुनिक खेती करने में आसानी होती है,एक जगह पर खेत होने से देखभाल सही तरीके से होती है|