लखनऊ: कोरोना महामारी ने कई घरों को उजाड़ दिया और बच्चों को अनाथ कर दिया है। उत्तर प्रदेश में कई बच्चे ऐसे भी हैं, जिनका पूरा परिवार ही कोरोना की चपेट में आ गया और उन्हें अपने माता-पिता खो दिए। बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संक्रमण के चलते अनाथ और निराश्रित हुए बच्चों को लेकर अहम फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच प्रदेश के भीतर अनाथ अथवा निराश्रित हुए बच्चे अब राज्य की संपत्ति हैं, उनका ध्यान रखने के लिए राज्य सरकार की ओर से सभी जिम्मेदारियां निभाई जाएंगी।सीएम योगी ने निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों में एक भी शिक्षक का वेतन में कटौती न की जाए। यदि संस्थान ने छात्रों से शुल्क लिया है, तो शिक्षकों का वेतन भुगतान अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कोरोना महामारी से निपटने के लिए गठित की गई टीम-9 के साथ बैठक में कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच अनाथ अथवा निराश्रित हुए बच्चे राज्य की संपत्ति हैं। कोविड के कारण जिन बच्चों के माता-पिता का देहांत हो गया है, उनके भरण-पोषण सहित सभी तरह की जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग निर्देश दिया कि इस संबंध में तत्काल विस्तृत कार्ययोजना तैयार करे।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि लगातार हुए प्रयासों के नतीजे आने लगे हैं। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की तीव्रता मंद हो रही है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर अब 91.4 प्रतिशत हो गई है। विगत 24 घंटो में राज्य में कोरोना संक्रमण के कुल 7,336 मामले आए हैं। यह संख्या 24 अप्रैल को आए 38055 मामलों से लगभग 30 हजार कम है। पिछले 24 घंटों में 19,669 संक्रमित व्यक्ति उपचार के बाद डिस्चार्ज हुए हैं। वर्तमान में राज्य में कोरोना संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या 1,23,579 है, जो 30 अप्रैल, 2021 की अधिकतम एक्टिव मामलों की संख्या 3,10,783 से 1.87 लाख कम है। इस प्रकार 30 अप्रैल के सापेक्ष वर्तमान में अधिकतम एक्टिव मामलों की संख्या में 69 फीसद की कमी आई है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेशवासियों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश में ओवरऑल कोविड पॉजिटिविटी रेट 3.6 फीसदी है, जबकि बीते 24 घंटों में यह दर 2.45 फीसद रही है। प्रदेश की विशाल जनसंख्या और महामारी की स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश की यह स्थिति संतोषप्रद है। उन्होंने कहा कि एग्रेसिव टेस्टिंग की नीति उत्तर प्रदेश ने शुरुआत से ही अपनाई है। बीते 24 घंटों में एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए प्रदेश में 2,97,327 टेस्ट हुए हैं। इसमें दो लाख 19 हजार टेस्ट केवल ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है, जबकि 1,22,000 टेस्ट आरटीपीसीआर माध्यम से हुए हैं। अब तक प्रदेश में 4,55,31,018 टेस्ट हो चुके हैं। गांवों में संचालित टेस्टिंग अभियान के अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि सभी जिलों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाया जाए। स्वास्थ्य केन्द्रों की पेंटिंग भी करायी जाए। साथ ही आवश्यक मैनपावर, पेयजल, शौचालय, बिजली आदि की व्यवस्था को भी दुरुस्त रखा जाए। यह कार्य आगामी एक सप्ताह में पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी डॉक्टर की ड्यूटी आफिस के कार्य में कतई न लगाई जाए। उनसे केवल चिकित्सकीय कार्य ही कराया जाए। सभी जिलों में उपलब्ध सभी वेंटिलेटर्स व आक्सीजन कंसन्ट्रेटर क्रियाशील अवस्था में रहने चाहिए। वेंटिलेटर्स के संचालन के लिए एनेस्थेटिक्स व टेक्नीशियन भी उपलब्ध रहने चाहिए।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न वितरण हेतु राशन की दुकानों पर एक नोडल अधिकारी तैनात किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि पात्र व्यक्तियों को अनुमन्य मात्रा में खाद्यान्न प्राप्त हो। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संवाद बनाते हुए उनसे राशन की दुकानों पर निरीक्षण कराएं। राज्य सरकार द्वारा माह जून, 2021 से पात्र व्यक्तियों को निःशुल्क तीन माह तक खाद्यान्न वितरण का निर्णय लिया गया है। इस सम्बन्ध में समय से सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश
- होम आइसोलेशन के मरीजों को निगरानी समितियों के माध्यम से मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाए। ग्रामीण इलाकों में संचालित स्क्रीनिंग के वृहद अभियान में लक्षणयुक्त अथवा संदिग्ध संक्रमित व्यक्तियों को निगरानी समिति द्वारा तत्काल मेडिकल किट उपलब्ध करायी जा सके, इसके लिए निगरानी समितियों को पर्याप्त संख्या में मेडिकल किट उपलब्ध करायी जाए।
- आक्सीजन और अन्य जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी में संल्पित लोगों के खिलाफ एनएसए जैसे कठोर कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए। पुलिस विभाग लगातार ऐसी गतिविधियों पर नजर बनाए रखे। इंटेलिजेंस को बढ़ाया जाए।
- सभी कोविड और नॉन कोविड मरीजों के सुव्यवस्थित उपचार हेतु मांग के अनुसार ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। मेडिकल कॉलेजों में खाली सिलिंडर की जरूरत है तो इसकी पूर्ति तत्काल कराई जाए।
- निगरानी समिति द्वारा लक्षणयुक्त तथा संदिग्ध संक्रमित व्यक्ति को मेडिकल किट उपलब्ध कराने के साथ ही, ऐसे व्यक्तियों की सूची तैयार की जाए। यह सूची इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को उपलब्ध कराई जाए।
- सभी मेडिकल काॅलेजों में 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) वाॅर्ड तैयार किया जाए। राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाहकार समिति ने पीकू स्थापना के लिए आवश्यक उपकरणों, मानव संसाधन एवं अन्य आवश्यकताओं के संबंध में आकलन प्रस्तुत किया है।
- बीआरडी मेडिकल काॅलेज, बीएचयू एवं केजीएमयू के अलावा गोरखपुर-बस्ती मंडल में इन्सेफ्लाइटिस से प्रभावित जनपदों में स्वास्थ्य विभाग को पीकू की स्थापना का अनुभव है। इस अनुभव का लाभ लेते हुए सभी जिला चिकित्सालयों एवं मेडिकल काॅलेजों के पीडियाट्रिशियन, टेक्नीशियन्स, पैरामेडिकल स्टाफ का प्रशिक्षण कराया जाए। आशा वर्कर व आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की भी चरणबद्ध ट्रेनिंग कराई जाए।
- एमबीबीएस अंतिम वर्ष में अध्ययनरत छात्रों की तर्ज पर विदेशी चिकित्सा संस्थानों से मेडिकल उपाधि प्राप्त ऐसे प्रोफेशनल युवा जिन्होंने भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए अर्हता परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं किया है, की सेवाएं कोविड कार्य में ली जानी चाहिए। इस संबंध में भारतीय चिकित्सा परिषद से मार्गदर्शन प्राप्त कर लिया जाए।
- कोविड संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ हो चुके कुछ लोगों को अभी भी चिकित्सकीय निगरानी की आवश्यकता पड़ रही है। ऐसे में कोविड उपचार के साथ-साथ पोस्ट कोविड मेडिकल समस्याओं के ट्रीटमेंट के लिए व्यवस्था आवश्यक है।
- प्रदेश के सभी जनपदों में ब्लैक फंगस के उपचार की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहनी चाहिए। इस संबंध में भारत सरकार को पत्र भेजकर आवंटन बढ़ाने का अनुरोध किया जाए।
- कोरोना वैक्सीनेशन के जीरो वेस्टेज को ध्यान में रखकर वैक्सीनेशन का प्रभावी प्रबंधन किया जाए। वैक्सीनेशन का कार्य सुचारु ढंग से सभी वैक्सीनेशन सेंटर पर चलता रहे, इसके लिए एक माह की प्लानिंग पहले से होनी चाहिए।
- पूरे प्रदेश में स्वच्छता, सैनिटाजेशन एवं फाॅगिंग की कार्यवाही को प्रभावी ढंग से जारी रखा जाए। इन कार्यों की सूची जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध करायी जाए। कम्युनिटी किचन को प्रभावी ढंग से संचालित करते हुए जरूरतमंद व्यक्तियों के साथ ही, मरीजों के परिजनों को भी आवश्यकतानुसार फूड पैकेट उपलब्ध कराए जाएं।