लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष या महामंत्री चुनाव लड़ना चाहेंगे तो उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना होगा। जिला पंचायत के सदस्य पदों पर फोकस करते हुए मैदान में उतरी भाजपा ने जिताऊ उम्मीदवारों के चयन के लिए गाइडलाइन तय कर दी है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रथम और द्वितीय चरण के उम्मीदवारों का चयन करने के लिए जिलों में बैठकों का सिलसिला शुरू है। जिलों से आने वाली संभावित उम्मीदवारों की सूची क्षेत्रीय कार्यालय में छंटनी कर प्रदेश मुख्यालय को भेजी जाएगी, जहां से 3051 जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए समर्थित उम्मीदवारों की सूची जारी होगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव में पार्टी की प्राथमिकता अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बनाने की है। इसलिए क्षेत्रीय व जिला संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों, जैसे अध्यक्ष व महामंत्री को टिकट न देकर कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारने का फैसला लिया गया। पंचायत चुनाव की तैयारियों के लिए नियुक्त किए संयोजक व सहसंयोजकों पर भी यह शर्त लागू होगी। विधायकों व सांसदों से भी कहा गया है कि अपने स्वजन को चुनाव लड़वाने की बजाए आम कार्यकर्ताओं को मौका दें। इससे स्थानीय स्तर पर सक्षम कार्यकर्ताओं की टीम तैयार होगी और संगठन को ताकत भी मिलेगी।
सामाजिक संतुलन का रखेंगे ध्यान : प्रत्याशी चयन के लिए स्थानीय स्तर पर सामाजिक संतुलन का भी ध्यान रखा जाएगा। टिकट वितरण में प्रत्याशी की छवि, समर्पण और क्षमता का आकलन करने के साथ सभी वर्गों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। अन्य पिछड़ों के साथ युवाओं व महिलाओं को वरीयता दी जाएगी। प्रदेश उपाध्यक्ष व पंचायत चुनाव प्रभारी विजय बहादुर पाठक ने बताया कि प्रत्याशियों का चयन चरणवार किया जाएगा।
नामांकन में होगा शक्ति प्रदर्शन : जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशियों का नामांकन कराते समय समर्थकों की भीड़ जुटाई जाएगी। सभी स्थानीय नेताओं व जनप्रतिनिधियों को नामांकन कराने के समय अपने जिलों में ही मौजूद रहने के निर्देश दिए गए है। नामांकन कराते समय मंत्री व सांसद भी उपस्थित रहेंगे।