डेस्क: मकर संक्रांति के पर्व को लेकर ज्योतिष विदों में अलग-अलग राय है। पूरे भारत में यह पर्व मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी तो तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाते हैं। अधिकांश विद्वानों का मत है कि भक्त पर्व 15 जनवरी को मनाएंगे। अमूमन मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को होता है। ज्योतिविद् डा. अनुराधा गोयल ने बताया कि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तराचण में आते हैं। शास्त्रों में दक्षिणायन को नकारात्मकता और उत्तरायण को सकारात्मकता का परिचायक माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व है। इस बार मकर संक्रांति के पर्व पर पांच ग्रहों का विशेष योग बन रहा है। सूर्य, बुध, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति की युति रहेगी। इस दिन गुड़, देशी घी, अनाज और तिल का दान करना चाहिए। इस दिन पूजा का समय सुबह 9.30 बजे से 11.20 बजे तक है। सामर्थ्य अनुसार गर्म कपड़े गरीबों को दान करने चाहिए।
डा. अनुराधा गोयल ने बताया कि मकर संक्रांति पर पुण्य काल नौ घंटे तक रहेगा। जो कि भक्तों के लिए ध्यान और दान करने का उत्तम अवसर है। कहा अगर गंगा स्नान करना संभव न हो तो पानी में गंगा जल की कुछ मात्रा डाल कर स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य भगवान को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य भगवान प्रत्यक्ष देवता हैं। 14 जनवरी को सुबह 8.15 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर अलग अलग जातकों के लिए अलग अलग प्रभाव होगा। मकर संक्रांति से ही दिन बड़े होने आरंभ हो जाते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। इसे अंधकार से प्रकाश का पर्व भी माना जाता है।