Monday, December 23, 2024
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प्रथम तिलक वशिष्ट मुनिकीन्हा, पुनि सब विप्रन आयुष दीन्हा

फर्रूखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) देश में आज रामराज को स्थापित करने आवश्यकता है। रामराज में कोई अपराध नहीं होता था प्रजा स्वस्थ्य थी और श्रीराम के राज में देवता ही प्रजा तुल्य थी।
मानस सम्मेलन के अंतिम दिन डॉ0 रामबाबू पाठक के संयोजन में चल रही मानस कथा में झांसी से आये मानस मनोहर अरूण गोस्वामी ने रामराज्याभिषेक पर कहा कि पुष्पक विमान से श्रीराम-सीता-लक्ष्मण-हनुमान-सुग्रीव व विभीषण सहित पूरी वानर सेना लंका से अयोध्या पहुॅची श्रीराम के 14 वर्ष बाद अयोध्या वापस आने पर माताएं, भरत, शत्रुघ्न व पूरी प्रजा काफी हर्षित है। श्रीराम ने सभी भाईयों की जटाएं सुलझाकर नहलाया और स्वयं भी स्नान कर अपने को तैयार किया।
गुरू वशिष्ट ने श्रीराम का विधि विधान से वैदिक मंत्रोंच्चार के बीच तिलकर कर मुकुट पहनाकर राज्याभिषेक किया। सभी हनुमान, विभीषण व सुग्रीव तथा पूरी प्रजा रामराज्याभिषेक से आनंदित है। ‘‘प्रथम तिलक वशिष्ट मुनिकीन्हा, पुनि सब विप्रन आयुष दीन्हा’’ नगर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी एवं मानस प्रेमियों ने श्रीराम की तस्वीर पर तिलक कर आशीर्वाद लिया। बांदा से आये मानस विद्वान रामगोपाल तिवारी ने हनुमान चरित्र प्रसंग पर आपके और मैय्या सीता के बल से ही मैं लंका गया और वापस आया। श्रीराम ने हनुमान के अंहकार की परीक्षा लेते हुये कहा यह कैसे सम्भव हुआ। हनुमान ने उत्तर दिया आपने जो मुद्रिका दी उसमें छोटा स्वरूप बनाकर उसी में बैठकर सौयोजन समुद्र पार कर लंका गया और माता सीता को मुद्रिका दी और बदले में उनसे चूड़ामणि लेकर उसमें बैठकर आपके पास वापस आया।
उरई-कालपी से आयी मानस कोकिला मिथलेश दीक्षित ने राम-रावण युद्ध पर कहा कि मेघनाथ व कुम्भकरण के मारे जाने के बाद रावण अकेला रह गया। श्रीराम ने युद्ध में रावण के 10 शीष व 10 भुजाएं वाणों से काट दी पर सभी पहले की तरह नई निकल आयीं। श्रीराम सबकुछ जानते थे क्योंकि वह भगवान थे। पूरे दिन के बाद सायंकाल विभीषण ने अंत में बताया कि रावण की नाभि में अमृत है। इस पर श्रीराम ने नाभि में वाण मारकर अमृत को सुखा दिया रावण को धराशाही कर दिया।
विभीषण ने रावण का दाहसंस्कार किया और श्रीराम की आज्ञानुसार लक्ष्मण ने विभीषण का राजतिलक कर लंका में राज्याभिषेक किया। सभी ने पुष्पक विमान से लंका से अयोध्या में प्रवेश किया। संचालन रामेन्द्र मिश्र, व बीके सिंह ने किया। तबले पर संगत नन्दकिशोर पाठक ने की। इस मौके पर सुजीत पाठक, अशोक कुमार रस्तोगी, ज्योतिस्वरूप अग्निहोत्री, छविनाथ सिंह, रमेशचंद्र त्रिपाठी, सुबोध, संजीव व जगत प्रसाद मिश्रा सहित कई दर्जन मानस प्रेमी मौजूद रहे ।

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