Friday, December 27, 2024
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मुंह देख कर अतिक्रमण पर चला पीला पंजा, चर्चा में रही गगनचुंबी सफेद ईमारत

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) नियम व कानून के विपरीत अगर अधिकारी कार्य करने लगे तो नि:संदेह अंगुली उठने लगती है। ऐसा ही अतिक्रमण हटाओ अभियान में देखने को मिल रहा है। किसी के दुकान के आगे का पूरा फर्श को तोड़ दिया जाता है और किसी को बिल्कुल ही छोड़ दिया जाता है। यही कुछ सोमवार को देखने को मिला| जब कुछ लोगों नें इसका विरोध करने का प्रयास किया तो उन पर पुलिस नें अपना बल प्रयोग कर शांत कर दिया| लेकी पूरे मामले में एक पीडब्लूडी के रिटायर्ड जेई का सफेद भवन जिला प्रशासन को नही दिखा| जिसकी पूरे अभियान में चक-चक मची रही|
दरअसल बेबर रोड पर ओबर ब्रिज निर्माण चल रहा है| जिसके चलते पीडब्लूडी नें अतिक्रमण अभियान के जद में आने वाले 51 भवनों को चिन्हित किया| जिस पर सोमवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत नगर मजिस्ट्रेट अशोक कुमार मौर्य, सीओ सिटी मन्नी लाल गौड़, ईओ नगर पालिका रविन्द्र कुमार पालिका की दो जेसीबी और कई थानों का फोर्स लेकर पंहुचे|  उन्होंने अभियान शुरू करा दिया| सड़क किनारे बने अतिक्रमण की जद में आये भवन तोड़ गये| लेकिन पीडब्लूडी विभाग के रिटायर्ड जेई का सफेद भवन अतिक्रमण के दायरे में नही आया|
जिसका कुछ स्थानीय नागरिकों नें विरोध कर दिया और कहा कि यह दोहरा नजरिया ठीक नही| सामन्य लोगों के घर के आगे यदि ईट बिछाई गयी है तो जेसीबी उसे भी उखाड़ रही है| लेकिन सफेद गगन चुम्भी ईमारत पर जेसीबी क्यों नही चल रही| दरअसल अतिक्रमण पीडब्लूडी के द्वारा ही चिन्हित किया गया| लोगों में चर्चा रही कि विभाग अपने पूर्व कर्मचारी की मदद कर रहा है| वही स्थानीय जानकारों नें बताया तैंनाती के दौरान रिटायर्ड पीडब्लूडी कर्मी नें सड़क से लगभग मिलाकर अपना कई मंजिला भवन बनाया| इसके साथ ही कागजों में बाजीगरी कर सड़क को घर के सामने पतला कर दिया| अब जब अतिक्रमण अभियान चला तो फिर विभागीय मददगारों नें उस गगनचुंबी भवन को अभय दान दे दिया| कागज क्या कहते है यह तो बनाने वाले जाने जब कागज बने तो कलम उनकी और कागज उनके थे लेकिन मौके पर देखकर बिना आंखों वाला भी बता देगा कि भवन कही न कही कथित रूप से अतिक्रमण में ही  है| यह हम नही मौके पर मौजूद लोग चीख-चीख कर कह रहे थे| लेकिन अफसर अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निर्वाहन करने का दावा करते नही थके| लोगों के आक्रोश के आगे प्रशासन की मंशा भारी पड़ी| और उनके नियम कायदे गिनाने के बाद भी आशियाने जमीदोज कर दिये गये|
नगर मजिस्ट्रेट अशोक कुमार मौर्य नें बताया कि जिस भवन पर लोगों को आपत्ति है वह अतिक्रमण के दायरे में नही आ रहा है| बिजली विभाग भी विधुत लाइन उस जगह से अंडर ग्राउंड निकालेगी| कागजों में भी भवन निजी जमीन में दर्शा रहा है| जिसके चलते उसे ध्वस्त नही किया गया| जितना भवन का आगे का हिस्सा अतिक्रमण में आ रहा था वह भवन स्वामी नें खुद तोड़ लिया| 

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