लखनऊ: समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बिना किसी का नाम लिये सलाह दी है कि राजनेताओं की भाषा संयमित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘डंके की चोट पर…’ यह राजनेताओं की भाषा नहीं हो सकती है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम व श्रीकृष्ण की धरती पर आज राजनेता प्रदेश में ठोक दिया जाएगा…, जबान खींच ली जाएगी…जैसी भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं।
बुधवार को जनेश्वर मिश्र की पुण्यतिथि पर जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने कहा कि देश की आजादी और खुशहाली में समाजवादियों का हाथ रहा है। छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र ने सदन में हमेशा गरीबों की बात की है। हम समाजवादी गरीब और किसान को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा काम करते रहेंगे।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार संविधान की आत्मा को खत्म कर देगी। बहुमत के दम पर संविधान के साथ खिलवाड़ कर रही है। हमे खुशी है कि आज महिलाएं सीएए के विरोध में आगे आई हैं। हमारे देश ने कभी धर्म जाति के नाम पर भेद नहीं किया।
लखनऊ में मंगलवार को सीएए के समर्थन में आयोजित रैली में गृह मत्री अमित शाह की चुनौती का जवाब देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा के लोग मंच तय कर लें, स्थान तय कर लें, हम विकास के मुद्दे पर बहस करने के लिए तैयार हैं, लेकिन भाजपा के लोग बेरोजगारी और विकास के मुद्दे पर बहस नहीं करना चाहते हैं।
अखिलेश ने कहा कि भाजपा लोगों को पैसे देकर उनके समर्थन में आने के लिए कहती है। वहीं, सीएए का विरोध करने वाली महिलाएं और युवा अपने दम पर आंदोलन कर रहे हैं। यह कानून जनता के हित में नहीं है और लोग इसे स्वीकार नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि जाति पर आधारित जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। सरकार इन आंकड़ों को रोक क्यों रही है? जिस दिन ये आंकड़े सामने आ जाएंगे हिंदू और मुसलमानों के बीच विवाद समाप्त हो जाएगा।
अखिलेश यादव ने कहा कि तीन साल से जो बाबा मुख्यमंत्री बैठे हैं वे भी कुछ नहीं कर पाए। बाबा किसानों को जानवरों से नहीं बचा पाए। अब तो किसानों के बाद नौजवान आत्महत्या कर रहे हैं। सबसे ज्यादा किसानों की जान महोबा में गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पुलिस अभिरक्षा में सबसे अधिक मौतें हुई हैं। नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने सबसे अधिक नोटिस यूपी सरकार को दिए हैं। यही कारण है कि भाजपा समाज के लोगों का मूल समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए सीएए व एनआरसी में उलझा कर रखना चाहती है।
बता दें कि लखनऊ में मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए का विरोध कर रहे राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और मायावती को वोट बैंक का लोभी, आंख का अंधा और कान का बहरा बताया और कहा था कि उन्हें करोड़ों शरणार्थियों पर हुए अत्याचार नहीं दिखते। उन्होंने कहा कि सिर्फ सीएए ही नहीं, चाहे सर्जिकल स्ट्राइक रही हो, अनुच्छेद-370 या तीन तलाक का खात्मा या राम मंदिर का निर्माण, देशहित से जुड़े ऐसे सभी मुद्दों का इन विपक्षी नेताओं ने विरोध किया। इन मुद्दों पर वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की भाषा बोलते रहे हैं। यह लड़ाई देश का भला और देश के टुकड़े करने वालों के बीच है। डंके की चोट पर कहा कि चाहे जितना विरोध हो, सीएए वापस नहीं होने वाला।