ओवर हेड टैंक घोटाले की लीपापोती में एबीएसए की रिपोर्ट

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फर्रुखाबाद, परिषदीय विद्यालयॅं में ओवरहेड टैंक लगाने में बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर हुए बंदरबांट की लीपापोती के लिये बेसिक शिक्षा विभाग ने नया फंडा ढूंड निकाला। बीएसए ने सभी सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों से विद्यालयों से टंकियों की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट मांगी। इस रिपोर्ट में सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों से बाकायदा एक प्रमाणपत्र मांगा गया कि वह सत्यापित करे कि “उनके विकास क्षेत्र में लघु उद्योग निगम द्वारा लगवाये गये समस्त ओवर हेड टैंक सुचारु रूप से काम कर रहे हैं, और किसी भी प्रधानाध्यापक को कोई शिकायत नहीं हे।”

विदित है कि तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सागर पति त्रिपाठी पर पंचायतराज विभाग की ओर से ग्राम पंचायतों द्वारा लगवाये गये ओवरहेड टैंकों के नाम पर लाखों रुपये का घोटाला करने का आरोप है। शिक्षक नेताओं द्वारा की गयी शिकायतों के आधार पर तत्कालीन मंडलायुक्त ने जांच के आदेश दिये थे। जिलाविकास अधिकारी ने इस संबंध में जांच के बाद घोटाले के अतिरिक्त भी कई अनियमिततायें उजागर की थीं। जांच पूर्ण होने के लगभग छह माह बाद भी अभी शिकायतकर्ता शिक्षकों को घोटालेबाज बेसिक शिक्षा अधिकारी पर कार्रवाई का इंतजार है। श्री त्रिपाठी को निलंबित किया जा चुका है। विभाग में भृष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी और मजबूत हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कमिश्नर के आदेश पर जिलाधिकारी द्वारा करायी गयी जांच में लगभग आठ लाख रुपये के स्पष्ट गबन की पुष्टि और रिपोर्ट जाने के लगभग 6 माह बाद भी दोषी अधिकारी के विरुद्ध एफआईआर द्रर्ज नहीं हो सकी है। इस दौरान दो डीएम् व कमिश्नर बदल चुके हैं, और पत्रावली कहीं धूल चाट रही है। बात केवल इतनी ही नहीं है, इसका एक खराब संदेश यह भी है कि इस पूरे प्रकरण से जुड़ा भृष्ट अमला जिस ढिटाई और बेहयाई के साथ मूंछे ऐंठ रहा है, वह इस मामले की शिकायत करने वाले जागरूक नागरिकों व इसे प्रमुखता से उठाने वाले मीडिया के लिये कष्टदायक है।

इस मामले की लीपापोती करने में बेसिक शिक्षा विभाग ने सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों से ओवर हैड टैंको की अद्यतन स्थिति के विषय में रिपोर्ट के नाम पर एक प्रमाण पत्र भी लिया। इसमें उनसे प्रमाणपत्र मांगा गया कि वह सत्यापित करे कि “उनके विकास क्षेत्र में लघु उद्योग निगम द्वारा लगवाये गये समस्त ओवर हेड टैंक सुचारु रूप से काम कर रहे हैं,और किसी भी प्रधानाध्यापक को कोई शिकायत नहीं हे।” अब जाहिर है कि जब ओवर हैड टैंक लगे ही नहीं तो बेचारी एबीएसए रिपोर्ट क्या दें। मजे की बात है कि यह नहीं पूछा गया कि यह टंकिया लघु उद्योग निगम ने लगायीं या पंचायराज विभाग ने। जबकि यही घोटाले का मुख्य बिंदु है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि पंचायत विभाग द्वारा लगाई गयी टंकियों को ही बेसिक शिक्षा विभाग ने लघु उद्योग निगम से लगा दिखा कर फर्जी भुगतान कर दिया। सूत्रों की मानें तो कई सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने तो रिपोर्ट दे भी दी थी। अब श्री त्रिपाठी के निलंबन के बाद यह एबीएसए अपनी फर्जी रिपोर्ट को लेकर परेशान हैं।

letter-1 18-03-2011