लखनऊ: खनन घोटाले में फंसे आइएएस अधिकारियों के यहां सीबीआइ के छापे से न केवल नौकरशाहों की किरकिरी हुई बल्कि व्यवस्था पर भी सवाल उठे कि ऐसे दागी छवि के लोगों को जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और कौशल विकास मिशन निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती कैसे मिली? अपनी छवि के लिए सजग राज्य सरकार अब ऐसे अफसरों की कुंडली खंगाल रही है जो जांच के शिकंजे में फंसे होने के बावजूद महत्वपूर्ण पदों पर तैनात हैं। इन दागियों को हटाकर साफ-सुथरी छवि के अफसरों को कमान सौंपी जाएगी।
प्रदेश भर में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात कुछ आइएएस और आइपीएस अफसरों के पिछले रिकार्ड ठीक नहीं रहे हैं। गुजरे दो दशक में भ्रष्टाचार के बहुत से मामले उजागर हुए। जांचों का सिलसिला चल पड़ा। एनआरएचएम घोटाला, खाद्यान्न घोटाला, बीज घोटाला, मृदा परीक्षण घोटाला, स्मारक घोटाला, चीनी मिल बिक्री घोटाला, भर्ती परीक्षा घोटाला, रिवर फ्रंट घोटाला, सहकारी बैंकों में भर्ती घोटाला, यमुना एक्सप्रेस-वे हाइवे घोटाला, पिकप घोटाला, जल निगम भर्ती घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला जैसे अनेक मामले हैं जिनमें अफसरों की संदिग्ध भूमिका उजागर हुई।
कुछ लोगों पर कार्रवाई भी हुई लेकिन, बाद में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मनचाहे पदों पर तैनाती पा ली। कई मंत्री और विधायकों ने भी संपर्क कर अपने मनचाहे अफसरों की तैनाती कराई। सरकार मिशन 2022 को देखते हुए ऐेसे सिफारिशी और दागी लोगों को किनारे कर अच्छे अफसरों को मौका देने का मन बना चुकी है। खासकर जिलों में ड्राइविंग सीट पर बैठने वाले अफसरों की सार्वजनिक छवि के साथ ही उनकी कार्यशैली का भी आकलन हो रहा है। बहुत जल्द इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।
जिम्मेदार पदों पर तैनात दागी अफसरों को हटाएगी यूपी सरकार, खंगाली जा रही कुंडली
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