नई दिल्ली:चुनाव आयोग की सर्वदलीय बैठक में आज फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का मुद्दा छाया रहा। कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने एक बार फिर चुनाव आयोग के सामने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग रखी। पिछले साल हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से ही विपक्षी पार्टियां ईवीएम पर सवाल खड़ी करती आई हैं। हालांकि चुनाव आयोग की ओर से हर बार ईवीएम पर भरोसा जताया गया है। लेकिन विपक्षी पार्टियां मानने को तैयार ही नहीं हैं। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों विपक्षी पार्टियां बैलेट पेपर से वोटिंग करने की मांग पर अमादा हैं? आखिर, क्या है इवीएम को लेकर कंट्रोवर्सी?
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि ऑल पार्टी मीटिंग में कुछ पार्टियों ने ईवीएम और वीवीपैट का मुद्दा उठाया। इन पार्टी के नेताओं ने कहा कि ईवीएम और वीवीपैट में समस्याएं सामने आ रही हैं। इन सभी समस्याओं को नोट कर लिया गया है।कुछ राजनीति दलों के नेताओं का मानना की ईवीएम से छेड़छाड़ कर सत्ता पक्ष अपने हक में मतदान करवा सकता है। उनका कहना है कि छेड़छाड़ कर ईवीएम को इस तरह सेट किया जा सकता है, जिसमें मतदाता किसी भी बटन को दबाए, लेकिन वोट सत्तापक्ष के उम्मीदवार को ही जाएगा। हर बार चुनावों के बाद किसी ना किसी दल के नेता के मुंह से ऐसा बयान सुनने को मिल जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में ईवीएम टेंपरिंग हो सकती है? क्या सच में आम लोगों के मत के खिलाफ ईवीएम से छेड़छाड़ करके परिणाम लाया जा सकता है। इसका जवाब यह है कि इंसान की बनाई कोई भी मशीन ऐसी नहीं है, जिसके साथ छेड़छाड़ नहीं हो सकती। हां, ईवीएम में इतने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं कि इससे छेड़छाड़ लगभग ना मुमकिन है, फिर भी कुछ फीसद गुंजाइश बची रह जाती है। इससे पार पाने के लिए भारत वीवीपैट (वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) का इस्तेमाल करने की तरफ कदम बढ़ा चुका है।
चुनाव आयोग बार-बार कह चुका है कि भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं हो सकती। मशीन का कोड पूरी तरह से एमबेडिड है, उसे न तो निकाला जा सकता है और न ही डाला जा सकता है। पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने भी ऐसी किसी संभावना को नकारा है, हालांकि वे भी चुनाव प्रक्रिया को और ज्यादा पारदर्शी बनाने की हिमायत करते हैं। कुरैशी के अनुसार चुनाव से महीनों पहले राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों की देखरेख में ईवीएम की अच्छे से जांच की जाती है। चुनाव से 13 दिन पहले उम्मीदवारों के नाम तय होने के बाद एक बार फिर प्रत्याशियों या पार्टी प्रतिनिधियों के सामने मशीनों का परीक्षण होता है। जब मशीन ठीक से काम करती हैं तो उनसे दस्तखत भी लिए जाते हैं।
इसके चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता और न ही दोबारा लिखा जा सकता है। ईवीएम को इंटरनेट या किसी भी नेटवर्क से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। नई ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ संभव नहीं है। अगर कोई मशीन या उसका एक स्क्रू भी खोलने की कोशिश करेगा तो ये बंद हो जाएगी। नई ईवीएम मशीन में 24 बैलेट यूनिट और 384 प्रत्याशियों की जानकारी रखी जा सकती है। जबकि इससे पहले वाले मार्क 2 ईवीएम में सिर्फ 4 बैलेट यूनिट और 64 प्रत्याशियों की जानकारी ही रखी जा सकती थी।
थर्ड जेनरेशन की EVM से 2019 लोकसभा चुनाव
2019 के लोकसभा चुनाव थर्ड जेनरेशन की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से होंगे। यह मार्क-3 ईवीएम चंडीगढ़ में पहुंच चुकी हैं। मार्क-3 ईवीएम से वीवीपैट जुड़ी होगी, जिससे मतदाता 7 सेकेंड तक अपने वोट पोल को देख सकेगा कि उसने वोट दिया है। स्क्रीन पर दिखने के साथ ही वीवीपैट से वोट पोल होने की स्लिप भी मिलेगी। जिस पर कैंडीडेट का नाम, सीरियल नंबर और चुनाव चिन्ह अंकित होगा। इससे भी वोटर को स्पष्ट हो जाएगा, उसने वोट जिसे दिया वह सही है या नहीं। हालांकि यह स्लिप वह पोलिंग बूथ से बाहर नहीं ले जा सकेगा। स्लिप को वहीं बॉक्स में डालना होगा। काउंटिंग के समय ईवीएम से गणना के साथ स्लिप की काउंटिंग कर क्रॉस चेक किया जाएगा।