नई दिल्ली:पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। अटल बिहारी वाजपेयी ने गुरुवार शाम अंतिम सांस ली। अटल के निधन के बाद उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदा किया जाएगा। अंतिम संस्कार से पहले वाजपेयी का पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेटा गया है। आइये आपको बताते हैं कि राजकीय सम्मान क्यों दिया जाता है और ये किन लोगों को दिया जाता है।
क्या है राजकीय सम्मान?
राजकीय सम्मान में शव को तिरंगे में लपेटा जाता है। जिस व्यक्ति को राजकीय सम्मान देने का फैसला किया जाता है उनके अंतिम सफर का पूरा इंतजाम राज्य या केंद्र सरकार की तरफ से किया जाता है। शव को तिरंगे में लपेटने के अलावा बंदूकों से सलामी भी दी जाती है।
कौन लेता है राजकीय सम्मान का फैसला?
राजकीय सम्मान पहले चुनिंदा लोगों को ही दिया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब सरकार की तरफ से ये देखा जाता है कि व्यक्ति का ओहदा क्या था। सरकार राजनीति, साहित्य, कानून, विज्ञान और सिनेमा जैसे क्षेत्रों में अहम किरदार अदा करने वाले लोगों के निधन पर उन्हें राजकीय सम्मान देती है। किसी राज्य का मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों के साथ बैठक के बाद इस पर फैसला करता है। फैसला हो जाने पर इसकी जानकारी राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी जाती है। कहा जाता है कि आजाद भारत में पहला राजकीय सम्मान महात्मा गांधी को दिया गया था।
किन्हें मिलता है राजकीय सम्मान?
आम तौर पर राजकीय सम्मान बड़े नेताओं को दिया जाता है, जिनमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री और दूसरे संवैधानिक पदों पर बैठे लोग शामिल होते हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार किसी भी शख्स को यह सम्मान देने का आदेश दे सकती है। नियमों में बदलाव के बाद केंद्र के अलावा राज्य सरकार भी इस पर फैसला ले सकती है।
क्या है प्रक्रिया?
राजनीति, साहित्य, कानून, विज्ञान और कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शख्स को राजकीय सम्मान दिया जा सकता है। इसके अलावा देश के नागरिक सम्मान (भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण) पाने वाले व्यक्ति को भी ये सम्मान दिया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए केंद्र या राज्य सरकार को सिफारिश करनी पड़ती है।