लखनऊ: एक तरफ तो जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीवीआईपी कल्चर खत्म करने की बात करते हैं वहीं बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश में वीवीआईपी लोगों के लिए टोल प्लाजा पर अलग से लेन की सुविधा दी जाने वाली। यह सुविधा विधायकों और सांसदों को दी जाएगी ताकि वे ट्रैफिक जाम से बच सकें। राज्य के सभी टोल प्लाजा के साथ-साथ इन वीवीआईपी लोगों को यह सुविधा नेशनल हाइवों पर भी दी जाएगी। सभी जिला अधिकारियों को इस मामले को लेकर निर्देश दिए जा चुके हैं कि उनके अंतर्गत आने वाले टोल प्लाजा पर सांसदों और विधायकों के लिए एक लेन अलग से रखी जाए।
इस मामले को लेकर उच्च अधिकारियों का कहना है कि एक तरफ तो सरकार प्रदेश में वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए गाड़ियों से नीली बत्ती हटाने का निर्देश देती है। वहीं दूसरी तरफ वीआईपी लोगों के लिए टोल पर अलग से लेन बनाने के निर्देश जारी कर फिर से वीआईपी कल्चर लाने के लिए जोर दे रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार इस प्रकार का निर्देश टोल प्लाजा ऑपरेटर्स के लिए परेशानी खड़ा करेगा। कई बार ऐसा देखा गया है कि विधायक टोल प्लाजा कर्मचारियों से टोल न देने को लेकर बहसबाजी करते है। एडिशनल जिला अधिकारी ने बताया कि जब लखनऊ और दिल्ली जाते है तो विधायक और सांसद के साथ काफिले में अक्सर चार से पांच गाड़ियां होती है। ये गाड़ियां उन राज्य और नेशनल हाइवे से निकलती हैं जहां पर टोल प्लाजा बने हुए होते है। जब टोल कर्मचारी उनसे टोल मांगते हैं तो ये विधायक और सांसद उनके साथ अभद्र व्यवहार करते है। कई बार तो यह भी देखा गया है कि कर्मचारी टोल मांग जाने पर इन लोगों द्वारा उनकी पिटाई कर दी जाती है। इस तरह के मामलों से कानून व्यवस्था पर भी असर पड़ता है।
आपको बता दें कि प्रदेश में हाल के दिनों में विधायकों और सांसदों द्वारा टोल कर्मचारियों के साथ मारपीट व बदतमीजी करने के कई मामले सामने आए है। विधायक और सांसदों को छोड़ दें तो राज्य की पुलिस भी टोल कर्मचारियों के साथ मारपीट करती है। एक घटना की बात करें तो बाराबंकी जिले के अहमदपुर में एक टोल पर 100 नंबर डायल वाली पुलिस की गाड़ी को रोका गया तो पुलिसवाले ने बेरहमी से टोल कर्मचारी की पिटाई कर दी थी। यह घटना एक सीसीटीवी में कैद हुई जिसके बाद पुलिसवाले को सस्पेंड कर जांच के निर्देश दिए गए थे।