लखनऊ: बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस के दिन आज बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने विरोधियों को निशाने पर लिया। लखनऊ में रैली के दौरान मायावती ने सपा और अखिलेश यादव को तो घेरा ही, कांग्रेस, बीजेपी और आरएसएस पर भी हमला बोला। मायावती ने कहा कि देश में हिंदू आधारित वर्ण व्यवस्था लागू करने की कोशिश हो रही है।
सबसे पहले मायावती ने मुसलमानों के बहाने सीएम अखिलेश को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि सियासत को बाबा साहेब ने एकजुटता का संदेश दिया और उन्हीं की वजह से देश में मुसलमान सुरक्षित हैं। मायावती ने कहा कि सपा सरकार के मुखिया 6 दिसंबर की छुट्टी कभी रद्द कर देते हैं तो कभी बहाल कर देते हैं, इससे लगता है कि ये जरूर बबुआ है। (भाषण के दौरान करीब 10 बार मायावती ने बबुआ शब्द का इस्तेमाल किया। अखिलेश के मायावती को बुआ बुलाने पर वह बबुआ शब्द का इस्तेमाल करने लगी हैं)
सपा को निशाने पर लेते हुए मायावती ने कहा कि सपा को हाथी डरा रहा है। ये लोग हमारे महापुरुषों की मूर्तियों के बारे में आए दिन बेहूदा बयान देते हैं। बाबा साहेब और कांशीराम की स्मृति में जो भी बाग और स्मारक बनाए गए हैं सपा उन्हें हमेशा फिजूलखर्ची बताती है पर देश भर से लोग इनको देखने आते हैं। हमारी सरकार के समय में ही ये स्थल बनकर तैयार हो गए थे इनको बनने में जो भी खर्चा आया था उसको धीरे-धीरे रिकवर करने के लिए टिकट की व्यवस्था की थी जो आज भी जारी है। इनसे मिलने वाली आय प्रदेश जनहित में खर्च की जाती है। सपा के लोग अपने मनोरंजन के लिए सैफई महोत्सव में आम आदमी का पैसा पानी की तरह बहाते हैं जो फिजूलखर्ची है, पर इस बात को कहने से सभी बड़े-छोटे नेता कतराते हैं।
मायावती ने कांग्रेस और बीजेपी को भी निशाने पर लिया। दलितों और पिछड़ों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा कि ये लोग जातिवाद की राजनीति करना चाहते हैं। मायावती ने कहा कि कांग्रेस के शासन में क्या आपको बाबा साहब की बनाई व्यवस्था का फायदा मिला? मायावती ने ओबीसी को बीजेपी और प्रधानमंत्री की जातिवादी नीतियों के चक्कर में नहीं आना चाहिए, इनका चाल चरित्र चेहरा बदलने वाला नहीं है। कांग्रेस या बीजेपी इन वर्गों के लोगों को अपनी पार्टी में बड़े से बड़ा पद क्यों ना दे दें फिर भी सीएम और पीएम इनके अपने लोग ही होंगे।
पूर्व पीएम वीपी सिंह की सरकार गिरने का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि हमारी शर्तों को मानने से नाराज हुई बीजेपी ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस लिया था। वीपी सिंह की सरकार को 3 शर्तों पर समर्थन दिया था।1. बाबा साहेब को मिले भारत रत्न। 2. ओबीसी के लिए मंडल कमीशन की सिफारिश लागू करना 3. बीजेपी का अयोध्या एजेंडा लागू ना होने दिया जाए। मायावती ने कहा कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट कांग्रेस के समय ही तैयार हो गई थी। कांग्रेस ने ना बाबा साहेब को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया और ना ही दलितों के लिए ही कुछ काम किया।
मायावती ने सवाल उठाया कि कांग्रेस के शासन में क्या आपको बाबा साहब की बनाई व्यवस्था का फायदा मिला? पॉलिटिकल मास्टर की (Key) अपने पास रखना जरूरी है। बीजेपी और आरएसएस के लोग इस संविधान को पसंद नहीं करते, वो इसे बदलकर हिंदुत्व पर आधारित जातिवादी वर्ण व्यवस्था को लागू करना चाहते हैं। शूद्रों और अति शूद्रों को बहकाया गया। काफी लोगों को नकली ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य बनाया गया।
बाबरी विध्वंस का मुद्दा उठाते हुए मायावती ने कहा कि केंद्र की कांग्रेस और राज्य की बीजेपी ने अयोध्या में जिस हिस्से को खंडित किया उसके लिए 6 दिसंबर का दिन ही चुना। ये सिर्फ एक धर्म के लोगों की सुरक्षा चाहते हैं। बेहद गंदी मानसिकता के कारण बाबा साहेब के परिनिर्वाण दिवस के दिन ही उसे खंडित किया गया।