फर्रुखाबाद: रविवार को शहर के मोहल्ला मनिहारी स्थित मस्जिद में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से आए मुफ्ती तबरेज आलम ने लोगों से खिताब किया। उन्होंने मुस्लिमों को आपसी विवाद निबटाने के लिए शरई अदालतों के गठन की सलाह दी। तीन तलाक के मामले मे उन्होंने बात करने से ही मना कर दिया|
उन्होंने कहा कि इस्लाम में इन्साफ और सजा की व्यापक शरई व्यवस्था है। हर जुर्म के लिए गवाह और सुबूतों के आधार पर फैसला सुनाने का प्राविधान है। इसलिए हमें आपसी विवादों को निबटाने के लिए शरई अदालतों का गठन करना चाहिए। इससे कोर्ट-कचेहरी में होने वाली भाग-दौड़ और खर्च की बचत होगी साथ ही इससे मुल्क की अदालतों पर गैरजरूरी बोझ भी कम हो जायेगे|
खिताब के बाद मीडिया कर्मियों ने मौलाना तबरेज आलम से पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से तीन तलाक व चार शादियों के मामले में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के खिलाफ शुरू की गई मुहिम पर उन्होंने कहा कि वह प्रवक्ता नही है| इस लिये इस मसले पर नही बोलेंगे| उन्होंने कहा कि इस्लाम में हदीस और कुरान की रोशनी में तैयार की गई शरियत हर तरह के मामलात में फैसला देने के लिए अहल है। मौलाना ने बताया कि शरई अदालतों में आलिम व मुफ्ती डिग्री धारकों को नियुक्त किया जाता है। डिग्री के अलावा उन्हें कम से कम दो साल का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई शख्स शहर काजी के फैसले से मुतमइन नहीं है तो वह इसके खिलाफ अगले दर्जे की अदालत में अपील कर सकता है। उन्होंने बताया कि शरई अदालतों को खुद-कफील बनाने को कुछ कोर्ट फीस भी रखी जा सकती है। अपने फैसलों को लागू करा पाने के ¨बदु को मौलाना टाल गए।
इस अवसर पर पूर्व सभासद रफी अंसारी के अलावा मोहम्मद ताहिर, मोहम्मद आमिर, शाहनवाज, मोहम्मद परवेज, मोहम्मद सकी आदि लोग मौजूद रहे।