वाट्सएप-फेसबुक आप को बना सकता है आर्थराइटिस के शिकार!

FARRUKHABAD NEWS FEATURED राष्ट्रीय सामाजिक

SAN ANSELMO, CALIFORNIA - APRIL 06: In this photo illustration, the WhatsApp application is displayed on a iPhone on April 6, 2016 in San Anselmo, California. Facebook-owned mobile mobile messaging application WhatsApp announced that it has completed end-to-end encryption of of all communication and data shared on the app. (Photo by Justin Sullivan/Getty Images) नई दिल्ली: युवाओं में फेसबुक और वाट्सएप जैसे सोशल नेटवर्किंग माध्यमों की लत तेजी से बढ़ रही है। हड्डी रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इनके बहुत अधिक उपयोग से कलाई और उंगलियों के जोड़ों में दर्द, आर्थराइटिस और रिपिटिटिव स्ट्रेस इंज्युरिज (आरएसआई) की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष और इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. राजू वैश्य का कहना है कि पिछले कुछ सालों में युवाओं में फेसबुक और वाट्सएप का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है। लोग वाट्सएप और फेसबुक पर चैटिंग या मैसेजिंग करने के लिए स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं। लगातार चैटिंग और मैसेजिंग करते रहने की बढ़ती लत के कारण ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है, जिन्हें उंगलियों, अंगूठे और हाथों में दर्द की समस्या हो रही है।

उन्होंने कहा कि इस तरह का दर्द एवं जकड़न रिपेटिटिव स्ट्रेस इंज्युरिज (आरएसआई) पैदा कर सकती है। आरएसआई एक ही गतिविधि के लंबे समय तक बार-बार दोहराए जाने के कारण जोड़ों के लिगामेंट और टेंडन में सूजन (इन्फ्लामेशन) होने के कारण होती है। इंस्टीट्यूट ऑफ बोन एंड ज्वाइंट (एमजीए हास्पीटल) के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन एवं निदेशक डॉ. अश्विनी माईचंद कहते हैं, “जो लोग टच स्क्रीन स्मार्टफोन और टैबलेट पर बहुत ज्यादा गेम खेलते हैं और टाइप करते हैं, उनकी कलाई और अंगुलियों के जोड़ों में दर्द हो सकता है और कभी-कभी अंगुलियों में गंभीर आर्थराइटिस हो सकती है। गेम खेलने वाले डिवाइस के लंबे समय तक इस्तेमाल के कारण युवा बच्चों में इस समस्या के होने की अधिक संभावना होती है।

फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा के स्पाइन एवं न्यूरो सर्जन डॉ. राहुल गुप्ता के अनुसार, किसी भी गतिविधि के बार-बार दोहराए जाने के कारण जोड़, मांसपेशियां और नसें प्रभावित होती हैं, जिस कारण रिपिटिटिव स्ट्रेस इंजरी होती है। उन्होंने कहा, कि जो लोग सेलफोन पर अक्सर संदेश टाइप करने के लिए अपने अंगूठे का उपयोग करते हैं, उनमें कभी-कभी रेडियल स्टिलॉयड टेनोसिनोवाइटिस (डी क्वेरवेन सिंड्रोम, ब्लैकबेरी थंब या टेक्सटिंग थंब के नाम से भी जाना जाने वाला) विकसित हो जाता है।”

डॉ. गुप्ता ने कहा कि इस रोग में अंगूठे को हिलाने-डुलाने में दर्द होता है। हालांकि डेस्कटॉप-कीबोर्ड के लंबे समय तक इस्तेमाल के कारण दर्द से पीड़ित रोगियों में इसके संबंध की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि डेस्कटॉप कीबोर्ड पर बार-बार टाइप करने पर यह दर्द और बढ़ सकता है। वहीं, डॉ. राजू वैश्य ने बताया कि ज्यादातर लोग टच स्क्रीन का इस्तेमाल गलत तरीके से और गलत पोस्चर में करते हैं। स्ट्रेस से संबंधित इंजरीज लोगों को तब भी हो सकती है जब वो टाइप करते समय अपनी कलाई पर अधिक दबाव डालते हैं या अपने हाथों को बहुत ज्यादा आगे या पीछे की ओर झुकाते हैं, जिससे उनके हाथों पर स्ट्रेस पड़ता है। इसके कारण होने वाली बीमारियों में कार्पेल टनेल सिंड्रोम सबसे सामान्य है। यह कलाई में मीडियन नर्व पर दबाव पड़ने के कारण होता है।

डॉ. वैश्य के अनुसार, आपकी गर्दन और इसे सहारा देने वाली सर्वाइकल स्पाइन पर खराब पोस्चर का बहुत प्रभाव पड़ता है, और इससे स्पाइनल कॉर्ड से निकलने वाले नव्र्स पर दबाव पर सकता है या यह फैल सकती है। अपनी गर्दन को बहुत ज्यादा आगे या पीछे की ओर नहीं मोड़ें और विशेषकर अपने सिर को एक तरफ या दूसरे तरफ लंबे समय तक मोड़ कर नहीं रखें। उनकी सलाह है, अपनी गर्दन को एक ही स्थिति में लंबे समय तक न रखें और थोड़ी-थोड़ी देर पर इसे आराम दें। यदि आप गर्दन को जिस स्थिति में रखे हुए हैं, उसमें दर्द, सुन्नपन या झनझनाहट महसूस करते हैं तो उस स्थिति को तुरंत बदलें। जिस स्थिति में अधिक आराम महसूस करते हों, गर्दन को उसी स्थिति में रखें।