फर्रुखाबाद: कोई कैसे कहे क़ि “अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो” जब किस्मत सुधा की बेटी जैसी हो| जेल में बंद सुधा का आरोप है क़ि जेल के सिपाहियों ने उसकी नवजात बेटी को जलालत भरी सौगात पैदा होते ही दे दी| दो साल पहले मौत के घाट सो चुके रामवीर की पत्नी जो जेल में बंद है ने मंगलवार को एक कन्या को जन्म दिया है| बच्ची का जन्म लोहिया अस्पताल में हुआ जहाँ कानूनी रूप से बच्चे के बाप का नाम सुधा के दो साल पहले मर चुके बाप के नाम के रूप में दर्ज किया गया| जेल में बंद सुधा का प्रेमी शेरसिंह जो बच्चे का असली पिता है उसे “पति पत्नी और वो” के बीच कोई जगह अभी तक कानूनी रूप से नहीं मिली| अलबत्ता एक “बिटिया जरुर जलालत का शिकार हो गयी|
लगभग दो साल पहले नरकसा कादरीगेट निवासी रामवीर की मौत शराब के साथ जहर पीने से हो गयी थी| रामवीर की मौत पर उसकी पत्नी सुधा, सुधा के प्रेमी शेरसिंह, सुधा के दो भाई और सुधा की माँ के नाम रिपोर्ट दर्ज हुई थी| रामवीर की मौत के बाद सुधा और अपने प्रेमी शेरसिंह के साथ फरार हो गयी और लम्बे समय तक दोनों साथ कहीं वक़्त बिताते रहे| दो महीने पहले ही दोनों ने अदालत में आत्मसमर्पण किया है| शेरसिंह और सुधा दोनों अब जेल में है| जेल पहुचने के समय सुधा की कोख में शेरसिंह का 7 महीने का बच्चा पल रहा था जिसे सुधा ने बीते मंगलवार को लोहिया अस्पताल में जन्म दिया|
अस्पताल में भर्ती कराते समय सुधा के पति के तौर पर कानूनी तौर पर दो साल पहले मर चुके रामवीर का नाम अस्पताल के रिकॉर्ड में दर्ज किया गया| जाहिर है बच्ची के जन्म के बाद उसे बाप के नाम के तौर पर उस बाप का नाम मिला जिसका उससे दूर दूर तक का कोई वास्ता नहीं है| कानून और व्यवहारिक पहलू अब आमने सामने की जंग में होंगे| सुधा के मुताबिक बच्ची के पिता शेरसिंह ही है मगर सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात सिपाहियों ने एक न सुनी और सुधा के पति के नाम की जगह पर रामवीर नाम दर्ज कराया| सरकारी कर्मचारी की भी मजबूरी थी, कानून और नियम के मुताबिक ही नाम लिखाया मगर जिस बच्ची ने अभी दुनिया ठीक से देखी नहीं है उसे उसके असली पिता का नाम पाने के लिए लम्बी कानूनी जंग लड़नी पड़ेगी|