फर्रुखाबाद: वह खाकी वर्दी में रहती है| उसके कंधे पर स्टार भी है| रुतवा भी वह पुलिस वालो जैसा ही दिखाती है| लेकिन उसे 420 का इतना बढ़ा माहिर माना जाता है| दर्जनों युवाओ को वह अपने जाल में फंसा चुकी है| लेकिन अभी तक कानून के शिकंजे में नही आयी है| बीते चार माह पूर्व युवाओं को पुलिस में नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे लाखो रुपये की चपत लगाकर फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिये| जिसके बाद ना जाने कहा चपंत हो गयी| युवाओ से उसने लाखो रुपये बसूले और अब नौकरी नही मिली तो वह लोग अपने पैसे लेने के लिये दर दर भटक रहे है| देखे आखिर क्या है लुटेरी दरोगा की कहानी|
थाना राजेपुर क्षेत्र के ग्राम सथरा निवासी शैलेन्द्र प्रताप सिंह पुत्र धनपाल सिंह ने पुलिस अधीक्षक से भेट कर उन्हें शिकायती पत्र दिया| दिये गये पत्र में पीड़ित ने कहा है की वह खाद का कारोबार करता है| उसके गाँव के ही निवासी सुरेश सिंह चौहान पुत्र उजागर सिंह की आरोपी अंजना देवी पुत्री मुन्नू सिंह रिश्तेदार है| अंजना देवी का शैलेन्द्र और उसके घर वालो से काफी मेल झोल था| अंजना सिंह खुद को पुलिस विभाग का दरोगा बताया करती थी | बीते 25 अक्टूबर 2015 को अंजना देवी के साथ राहुल पुत्र जगत सिंह भी था सथरा आये थे| राहुल भी अपने को पुलिस वाला बता रहा था| उसी दिन शाम को 6 बजे अंजना और राहुल उसके घर आये और कहा की सरकार ने किसी विशेष योजना के अंतर्गत पुलिस विभाग में कांस्टेबल पद पर पांच लाख रुपये अनुदान देकर केबल साक्षात्कार पर ही भर्तियाँ हो रही है|
अगर हमे पांच लाख रुपये दो तो हम तुम्हारी नौकरी लगा सकते थे| उसी रात अंजना की बातो में आकर नकद 270000 आरोपियों ओ दे दिये| इसके बाद 29 अक्टूबर को 30 हजार रुपये.26 नबम्बर को दो लाख रूपये अंजना सिंह के बैंक खाते में जमा कर दिये| 6 दिसम्बर 2015 को अंजना ने साक्षात्कार के लिये कानपुर बुला लिया| जंहा राहुल के पिता जगत सिंह ने कुछ सामान्य से सबाल शैलेन्द्र से किये| 8 दिसम्बर को अंजना व राहुल ने पार्थी को एक नियुक्ति पत्र भी जारी किये| | फ़िलहाल जनपद के कई इस तरह से पीड़ित है जो महिला दरोगा की शिकार हुई है| पीड़ित शैलेन्द्र ने आई जी के टोलफ्री नम्बर पर शिकायत दर्ज करायी है| फ़िलहाल दरोगा अब गायब है