Thursday, December 26, 2024
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लगातार हमलों से भड़के वीके सिंह ने ऐसे बोला विपक्ष पर हमला

VK-Singh1नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की टिप्पणी को लेकर राज्यसभा में आज घमासान मचा रहा। हरियाणा दलित कांड पर वीके सिंह के बयान को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस, बीएसपी, एसपी सांसदों ने वीके सिंह पर कार्रवाई की मांग की। सदन में इस हंगामे के बीच वीके सिंह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए फेसबुक पर अपनी बात रखी। क्या लिखा वीके सिंह ने पढ़ें-

“राज्यसभा में उपस्थित होना मेरे लिए एक विस्मयकारी अनुभव था। मेरा हमेशा से विश्वास था कि हमारे देश की ऊपरी प्रतिनिधि सभा में ज्ञान, अनुभव, विवेक का महासमागम होता होगा और देश के प्रतिनिधि भारत के जटिल मुद्दों पर तर्क वितर्क कर समाधान ढूंढ़ते होंगे। अल्पमानसिकता से दूषित राजनीति से परे, राज्यसभा में राष्ट्रहित के सर्वोपरि होने की अपेक्षा की थी मैंने। परन्तु मेरा यह विश्वास भीषण रूप से तब आहत हुआ जब मैंने राज्यसभा के सदस्यों को राजनीति के चूहे बिल्ली वाले तुच्छ खेल में लिप्त पाया जिसका वर्णन करना भी मेरे लिए पीड़ादायी है।

केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की टिप्पणी को लेकर राज्यसभा में आज घमासान मचा रहा। इसे लेकर वीके सिंह ने भी पलटवार करते हुए फेसबुक पर अपनी बात सामने रखी है।यह मेरे विश्वास के परे था कि राज्यसभा में कुछ सदस्य उन्हीं तत्वों के प्रकार प्रतीत हो रहे थे, जिनसे हमें बचपन से सावधान रहना सिखाया जाता है। ये सदस्य ऐसे ही हैं, या राजनैतिक अस्तित्व के दबाव में ऐसे बन गए हैं, इसका अनुमान आप ही लगा सकते हैं। जो भी हो हमारे देश के महान निर्माता और संस्थापक आज यह दृश्य देख कर लज्जित अवश्य हुए होंगे।

मैंने कुछ दिन पहले एक टिप्पणी में कहा था कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का जिम्मा होती है, और एक उपमा दे कर यह समझाने का प्रयास किया था कि हर दुर्घटना का दोषारोपण केंद्र सरकार पर करना अनुचित है। स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे इस उपमा को सही समझ जाते, परंतु जिन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य इस सरकार को असली मुद्दों से विमुख कर के काल्पनिक मुद्दों से जुझाना बना लिया है, उनके लिए यह एक सुनहरा अवसर था। सुपाड़ी पत्रकारिता और विभाजक राजनीति के उपासक यकायक जागृत हो उठे।

वैसे यह भी प्रतीत हो रहा था कि शहज़ादे वास्तविकता से कट चुके हैं। सरकार ने मेहनत से कम समय में वह सब संभव कर दिखाया जो भारत इतिहास में अभूतपूर्व है। एक लोकप्रिय सरकार अपने प्रदर्शन से जनता में और ज़्यादा प्रिय हो गई थी। अगर ऐसे ही चलता रहा तो इनका नम्बर नहीं आने वाला। युक्तियां जब विफल होने लगीं, तो खिसियाई बिल्ली खम्बा नोचने ही लगी।

फरीदाबाद में जो अपराध हुआ वह निस्संदेह निंदनीय एवं दुखद था। मगर खुद को दलितों का मसीहा बता कर उस अपराध को जाति का रंग देना, और देश की संवेदनशीलता को हवा दे कर वातावरण विषैला करना उससे बड़ा और जघन्य अपराध है। अरे साहब, कुर्सी लकड़ी की होती है, और इन्सान हाड़ मांस के। ये सौदा आप बंद करिए।

हमारे देश का आम आदमी बेशक उन किराये के गुंडों जितना शोर न मचाता हो, भले ही वह आपके इस नाटक के प्रति सहनशील हो, मगर उसे बुद्धू समझने की भूल मत करिए। वह सब जानता, और सब समझता है। और आप मुझे निशाना बना कर कहते हैं कि मैं देश को धर्म और जाति के नाम पर बांट रहा हूं? मेरे सिद्धांत वहां गढ़े गए हैं जहाँ देश के लिए जान दी जाती है। भगवान का शुक्र मनाइये कि भारतीय सेना इन घटिया बातों में न कभी पड़ी है, और न कभी पड़ेगी। हम सिर्फ देशभक्त हैं, और बस यही रहना चाहते हैं। बाकी और कुछ हमारे जज़्बे का अपमान है।

मैं कोई ऐसा नहीं हूं जिसे राजनैतिक पद विरासत में मिल गया है, और न ही कोई ऐसा जिसकी कोई राजनैतिक महत्वाकांक्षा है। मैं अभी भी बस एक सैनिक हूं जो देश की सेवा में सब कुछ अर्पण करने का दम रखता है। मुझे बस एक आशा है कि मेरे देशवासी मुझे इस तरह जानते हैं, और साथ ही आपके राजनैतिक नाटक को भी।”

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