सर्दियों का नाटक- चलो गाँव की ओर

Uncategorized

उत्तर प्रदेश में सर्दियाँ आते ही अखबारों में जिस खबर का बेसब्री से पत्रकारों को इन्तजार रहता है वो है “चलो गाँव की ओर” अभियान का| इन्तजार इसलिए क्यूंकि इस खबर के लिए पत्रकारों को कवरेज के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती| नए युग का नया प्रयोग, बनी बनायीं प्रेस विज्ञप्ति और डिजिटल फोटो अख़बार के दफ्तरों में पंहुचा दी जाती है| थोडा बहुत काट छाट कर लगी खबर से नेता और अधिकारी दोनों खुश हो जाते है| सही मायने में यही एक ऐसा अभियान है जो समाजवादी लगता है| पिछले कई सालों से प्रदेश में सरकार भले ही सपा, भाजपा या फिर बसपा की रही हो ये अभियान जरूर चलता है| इतना ही नहीं इसे सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दल ये अभियान चलाते है|

सर्दियाँ आते ही प्रदेश के मुख्य सचिव की ओर से प्रदेश के मुख्यमंत्री के हवाले से जिलों के डीएम को फरमान आ जाता है कि योजना बनाकर जिले के आलाधिकारियो को गाँव में जाकर रात्रि प्रवास करना है और गाँव वालों की समस्या सुननी और हल करनी है| राजनितिक दलों के प्रदेश अध्यक्षों के फरमान भी जिलों के जिलाध्यक्षो को आ जाती है कि गाँव गाँव पहुचो और सरकार विरोधी अभियान चलाकर पोल खोलो|

मगर इस अभियान से आज तक किसी भी गाँव का कुछ नहीं बदला| न समस्या और न रंग रूप| प्रधान से लेकर कोटेदार तक से जनता त्रस्त है| अलबत्ता गाँव वालो की थोड़ी बहुत मुसीबत जरूर बढ़ जाती है| बिना बिजली के रहने के आदी ग्रामीण क्षेत्रो में आमतौर रात सूरज ढलते ही हो जाती मगर उस रात प्रायोजित जागरण करना होता है|

अगर मामला सरकारी है, सरकारी अफसर को गाँव में प्रवास करना है तो फिर प्रधान, गाँव सचिव, ब्लाक स्तर के अधिकारी कर्मचारी गाँव में सारा इंतजाम करने में जुट जाते है| गाँव सजाते है, टेंट लगवाते है, जरनेटर से लाइट जलाई जाती है, गर्माहट के लिए अलाव जलता है, चाय नाश्ते का इंतजाम और ये सब अधिक से अधिक दो से तीन घंटे के लिए| शायद इसका बजट अलग से आता है या नहीं ये तो पता नहीं| सूचना विभाग के कारिंदे इन अधिकारिओ और गाँव की चौपाल की तस्वीरे उतारते है और कड़ाके की सर्दी में घंटे दो घंटे के बाद पैकअप हो जाता है| अधिकारी डिनर करके गाँव जाते है और रात्रि नींद भी वापस अपने आवास पर आकर करते है| मगर अगले दिन सूचना विभाग की मक्खन पालिश से भरपूर प्रेस विज्ञप्ति अख़बारों के दफ्तरों में पहुचती है जिसमे रात्रि प्रवास के साथ बढ़िया हैडिंग के साथ खबरे छपती रही है- “जिलाधिकारी ने ..गाँव में रात्रि प्रवास कर ग्रामीणों की समस्या सुनी”|

लगभग यही नजारा राजनैतिक दलों के बड़े नेता भी करते है| गाँव गए लोगो से मिले समस्या नोट की, फोटो सेशन कराया और प्रेस विज्ञप्ति बनाकर अखबारों में भेज दी| खबर छपी- “भाजपा/सपा/बसपा चली गाँव की ओर
गाँव की समस्या हल भले ही न हो सरकार और राजीतिक दलों के नुमायंदे कड़ाके की सर्दी में गरम कश्मीरी गाउन पहने मुह से भाप फेकते हुए सुबह-सुबह चाय की प्याली के साथ अपने कारनामे की खबर वाचते है और उनकी कटिंग कर फाइलों में सहेजते है| दोनों ऊपर भेजेंगे कि इस सर्दी में उन्होंने क्या क्या उखाड़ा है|
अपनी राय जरुर लिखे-