नई दिल्ली:क्या आप जानते हैं कि देश के साढ़े 15 लाख से ज्यादा बच्चे अपनी उम्र के पांच साल भी पूरे नहीं कर पाते। इनमें से 79 फीसदी यानी तकरीबन 11 लाख 60 हजार बच्चों की मौत तो एक साल की उम्र पूरी करने से पहले ही हो जाती है जबकि 8.7 लाख अभागे ऐसे हैं जो पैदा होने के बाद एक माह भी नहीं जी पाते। जी हां, ये आंकड़े डराते हैं और हमारे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की भयावह तस्वीर पेश करते हैं। ये बताते हैं कि भारत के लिए शिशु मृत्यु दर में सुधार की कितनी सख्त जरूरत है। अब केंद्र सरकार जागी है और उसने इस तस्वीर को बदलने की पहल की है। तस्वीर सिर्फ बदलनी ही नहीं है बल्कि उसमें सतरंगे रंग भी भरने हैं। शायद यही वजह है कि इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने जो योजना बनाई है उसे ऑपरेशन इंद्रधनुष नाम दिया गया है।
ऑपरेशन इंद्रधनुष केंद्र सरकार की योजना है जिसके तहत 2020 तक उन बच्चों का टीकाकारण पूरा किया जाना है जिन्हें या तो टीके लगे ही नहीं और अगर लगे भी तो सुरक्षा चक्र पूरा होने से पहले ही रोक दिए गए। बताने की जरूरत नहीं कि बचपन में ही मौत या गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाने वाले बच्चों में ऐसे ही शिशुओं की संख्या ज्यादा है। इन बच्चों को अब ऑपरेशन इंद्रधनुष के तहत टीके लगाए जाएंगे। इसके लिए केंद्र सरकार ने ऐसे 201 जिले चिन्हित किए हैं जहां देश के तकरीबन 50 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें या तो टीके लगे नहीं या आधे-अधूरे लगे हैं। इन जिलों में नियमित टीकाकरण के लिए मुहिम चलाई जाएगी। पहले चरण के 201 के बाद दूसरे चरण में 297 जिलों में ये अभियान चलाया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि हर साल पांच फीसदी अतिरिक्त बच्चे नियमित टीकाकरण अभियान के दायरे में आएं। इंद्रधनुष के सात रंगों की तरह मिशन इंद्रधनुष के तहत भी सात बीमारियों डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनस, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस-बी के टीके लगाए जाएंगे।
इस अभियान की जरूरत के बारे में पीएचएफआई के रिसर्च एंड पॉलिसी के वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर रमणन लक्ष्मीनारायण कहते हैं कि पिछले पांच साल में भारत में टीकाकारण की करवेज प्रति वर्ष एक फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है। आज भी 90 लाख बच्चों को उनकी सभी वैक्सीन नहीं मिली हैं। इसका मतलब है कि देश के हर तीसरे बच्चे को बीमारियां घेरने का जोखिम है इसलिए सरकार चाहती है कि उन्हें वैक्सीन उपलब्ध कराई जाए। डॉक्टर रमणन के मुताबिक मिशन इंद्रधनुष के तहत इम्युनाइजेशन सिस्टम को मजबूत किया जाएगा ताकि इस गैप को भरा जा सके और हर बच्चा पूरी तरह इम्युनाइज्ड हो।
सरकार का मकसद नेक इरादे लेकर शुरू हुआ है लेकिन उसके लिए राह आसान नहीं रहने वाली। अकेले पोलियो अभियान के लिए ही जिस स्तर पर देश में मुहिम चली, उसे देखते हुए काम चुनौतीपूर्ण कहा जा सकता है। हालांकि डॉक्टर राकेश कुमार, ज्वाइंट सेक्रेटरी आरसीएच, मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फेमिली वेलफेयर के मुताबिक मिशन को सफल बनाने के लिए उन सभी बच्चों तक पहुंचा जाएगा, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है या आधा अधूरा हुआ है। ये होगा सप्लाई साइड की ओर की चुनौतियों से निपटकर। ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि वैक्सीन सुदूर इलाकों में भी मौजूद रहे। इसके अलावा जागरूकता अभियान और विशेष टीकाकरण अभियान भी आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार 2020 तक सभी बच्चों के पूरी तरह से टीकाकरण करने के लिए प्रतिबद्ध है।