मानवधिकार क़ानून का बना मखौल

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फर्रुखाबाद: मानवाधिकार दिवस पर मानवाधिकारों का हनन रोकने को कड़ा कानून बना, पालन कराने को थानों में बोर्ड रखे गये लेकिन आएदिन हम इस कानून को टूटते देखते हैं। पुलिस भी कई बार हदें पारकर इस कानून का मखौल बना देती है। इसका खामियाजा पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई कर भुगतना पड़ा|

तीन माह पूर्व थाना राजेपुर के सिपाही नीरज सिंह ने अवैध वसूली के लिए एक डग्गामार मैजिक चालक को इस कदर पीटा कि उसकी मौत हो गयी। हालांकि उपद्रव के बाद सिपाही के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और इन दिनों वह जेल की हवा खा रहा है। गत सप्ताह लोहिया अस्पताल में साइकिल चोरी के आरोप में दो युवकों को भीड़ ने ही सजा दे दी। बजरिया सालिगराम में तो एक युवक को बंधक बनाकर सिर मुंडाया गया। पुलिस मौके तक नहीं पहुंची।

वर्ष 2008 में थाना कमालगंज क्षेत्र के ग्राम मांझगांव निवासी छात्र रामू व सुभाष को पुलिस ने गुंडा एक्ट के मुकदमे में नामजद कर दिया था। मामला मानवाधिकार आयोग में पहुंचा तो जांच पड़ताल शुरू हुई। एक दरोगा समेत पांच पुलिसकर्मी निलंबित हुये। बाद में पुलिस कर्मियों के वेतन से कटौती कर दोनों छात्रों को दस-दस हजार रुपये का भुगतान किया गया। पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर के थाना अल्लागंज क्षेत्र के ग्राम बेलाखेड़ा निवासी महिपाल को पांच साल पूर्व यहां थाना अमृतपुर के ग्राम लक्ष्मन नगला में सिपाही ने गोली से उड़ा दिया था। विवाद जुआ में अवैध वसूली को लेकर हुआ। सिपाही के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। यह मामला भी मानवाधिकार आयोग में गया और परिवार के मैराथन प्रयास के बाद उन्हें गत माह चार लाख रुपये का मुआवजा मानवाधिकार आयोग के आदेश पर दिया गया। हालांकि अधिकतर मामलों में पीड़ित चुप होकर ही बैठ जाते हैं।

पुलिस अधीक्षक डॉ.के.एजिलरसन ने बताया कि मानवाधिकार हनन के मामले में फिलहाल कोई भी शिकायत लंबित नहीं है। यदि इस तरह की शिकायत मिलती है तो तत्काल कार्रवाई की जायेगी।