फर्रुखाबाद: भ्रष्टाचार एक जाल की तरह है जिसकी एक गांठ खुलने पर पूरी पोटली की कलाई खुलने लगती है| जरुरत शुरुआत भर करने की है| प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत पटेल ने सहायक अध्यापक सुशील मिश्रा की यू आर सी के पद पर नियुक्ति को नियमविरुद्ध और फर्जी करार देते हुए उनके खिलाफ नगर शिक्षा अधिकारी को सुशील मिश्रा के खिलाफ गबन आदि की कार्यवाही करने के आदेश दिए है| इसी क्रम में तहसील दिवस में एक आर टी आई एक्टिविस्ट जितेंद्र चतुर्वेदी ने बेसिक शिक्षा में नगर क्षेत्र में इसी प्रकार के एक पुराने मामले में गबन का मामला दर्ज करने का प्रार्थना पत्र दिया है| मजे की बात यह है कि नया मामला भी सुशील मिश्रा और तत्कालीन नगर शिक्षा अधिकारी से जुड़ा हुआ है|
पहले समझे की बेसिक शिक्षा में URC और NPRC होता क्या है?
URC यानि की “अर्बन रिसोर्स सेंटर” और NPRC यानि की न्याय पंचायत रिसोर्स सेंटर प्राथमिक शिक्षा को बूस्ट करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत स्थापित केंद्र है जिसमे नियुक्त इंचार्ज को स्कूल स्कूल जाकर शिक्षा को बढ़ावा देना, नयी शिक्षा देने की तकनीको पर प्रशिक्षण आदि सम्पन्न कराना और शिक्षा में गुणवत्ता और सुधार लाने का काम होता है| इनके इंचार्ज तजुर्बेदार प्राथमिक शिक्षक को ही बनाया जा सकता है और सहायक अध्यापक चूँकि सहायक ही होता है लिहाजा उसे इंचार्ज नहीं बनाया जा सकता|
ये NPRC और URC कितने कारगर है?
दोनों ही पदो पर नियुक्त अध्यापक नेतागीरी करते है| किसी भी स्कूल में जाकर पढ़ाते नहीं है| गुणवत्ता शिक्षा की जरूर नहीं सुधरती बल्कि केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए बजट को खर्च करके इन पदो पर नियुक्त अध्यापको की माली हालत में काफी सुधार देखा जाता है| चूँकि इन रिसोर्स सेंटर पर खर्च हुआ पैसा केंद्र सरकार की सर्व शिक्षा अभियान से आता है (प्रदेश सरकार का नहीं) इसलिए इन रिसोर्स सेंटर में हुए गोलमाल का संज्ञान सीधे केंद्र सरकार लेने में सक्षम भी होती है| जरुरत बस केंद्र सरकार को सूचित करने भर की है| इन पदो पर नियुक्ति के लिए जिले ले दबंग और नेता, विधायक पैरवी करते है जिंहे बच्चो की शिक्षा ख़राब होने से कोई मतलब नहीं| चुनाव में किसी शिक्षक ने किसी नेता के ली नहीं बजाई तो उसे उस पद से हटाया जाता है वैसे नहीं|
नयी शिकायत-
वर्ष 2008 में नगर शिक्षा अधिकारी राजेश मिश्रा ने वर्तमान में हत्या में आजीवन सजा काट रहे सहायक अध्यापक रमाकांत तिवारी को यूआरसी पद पर नियुक्त कर दिया था| रमाकांत तिवारी को सजा हो जाने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और उनका उत्तराधिकार सुशील मिश्रा को बिना नियुक्ति के मिल गया| यू आर सी के खाते संचालित करने के लिए दोनों ही उपयुक्त नहीं थे| वर्तमान में बी एस ए भगवत पटेल ने इसी आधार पर सुशील मिश्रा के खिलाफ गबन की कार्यवाही करने के आदेश नगर शिक्षा अधिकारी को दिए है| इसी प्रकरण के समान्तर जितेंद्र ने तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र देकर दोनों के खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज करने और वसूली करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है|