Saturday, January 11, 2025
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जिम्मेदार कौन:दो दिन से बेटे को गोद में लिए जिंदा होने का कर रही इंतजार

masumफर्रुखाबाद:माँ इस एक शब्द में पूरा विश्व ही समाहित हो जाता है| इसकी कोई वजह है क्यों की माँ की ममता किसी से छुपी नही यह ममता सभी जीव जन्तुओ में अपनी सन्तान के लिए बराबर होती है| इसी तरह की ममता देख आँखे भर आयी| जब एक महिला को देखा जो लोहिया अस्पताल में अपने मृत मासूम चार महा के बेटे को गोद में लिए आंसू वहा रही है| और बच्चे को किसी और के हाथ में देने तक को राजी नही है| गर्मी की बजह से बच्चा फूल तक गया है| मजे की बात यह है की बच्चे को मरे 24 घंटे से अधिक समय हो गया और अस्पताल ने कोतवाली को सूचना भी देदी और पुलिस उस की तरफ झाकने तक नही आयी|
बीते दिन महिला किसी तरह अपने बीमार बच्चे को लेकर लोहिया अस्पताल में पंहुच गयी या कोई छोड़ गया| बच्चा बीमार था इस लिए उसे अस्पताल में उपचार का प्रयास किया गया| कितना प्रयास डाक्टरों ने किया होगा यह भी किसी से छुपा नही है| डाक्टरों की लापरवाही तो सभी जानते है| जब ठीक ठाक को देखने को लेकर डाक्टर हाथ नही आते और घायलों को सीलने के लिए चतुर्थश्रेणी कर्मचरियों का प्रयोग करते है| हो सकता हो बच्चे की मौत की बजह लापरवाही ही बनी हो लेकिन कोई कहने वाला नही है इस लिए डाक्टर तो निश्चिंत बैठे है| वही अस्पताल में घुमने वाले दलालों ने भी उसे राय नही दी क्यों की उसके पास ना ही पैसे थे और ना ही दिमाग सो वह भी पीछे हट गये| नतीजन विछिप्त महिला का मासूम पुत्र बीते गुरुवार की शाम तकरीवन 6 बजे ख़त्म हो गया| माँ दिमाग से कम थी| लेकिन माँ की ममता ने अपनी आँखों से सब पहचान लिया महिला यह समझ गयी की उसके जिगर का टुकड़ा अब इस दुनिया में नही रहा| अस्पताल के डाक्टरों ने पुलिस को शुक्रवार को सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर सूचना देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली|
सुबह से जो भी निकलता वह अपने आंसू रोक नही पा रहा था| वह पागल सी लगने वाली मासूम की माँ कभी उसका हाथ चूमती तो कभी उसका माथा| और आंसुओ की धार से अपना आँचल गिला किये हुयी थी| महिला के मृत पुत्र को देख कर लग रहा था की सरकार आम जनता को सुनने के लिए अफसरों को कितना भी टानिक पिलाये लेकिन अधिकारी सारा टानिक लखनऊ की सीमा पर ही छोड़ आते है|
प्रश्न यह उठा की इस मामले में अब जिम्मेदारी किसकी है| कोतवाल सुनील यादव को फोन किया गया लेकिन साहब ने फोन रिसीब तक नही किया| तब पुलिस के एक बड़े अधिकारी को फोन लगाया गया शायद साहब सो रहे थे | जमुहाई लेते हुए बोले की बताईये कौन बोल रहा है जब कहा गया की लोहिया अस्पताल में एक पागल महिला के बच्चा को मरे हुए 24 घंटे हो गये| सूचना भी पुलिस को दी गयी लेकिन अभी तक पुलिस नही आयी और बच्चा फूल गया है|
जिस पर पुलिस के अफसर बड़े ही नार्मल तरीके से कहा की देखते है पोस्मार्टम तो कल ही होगा| उसकी निष्क्रिय आबाज को ही देख कर लगा की वह भी अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा| कोई पहाड़ नही उठाना था उसे केवल अपने से छोटे अफसर को फोन घूमाना था|
फ़िलहाल जब तक खबर लिखी गयी तब तक महिला का बच्चा उसकी गोद में ही बदबू दे रहा था लोग नाक पर कपडा लगा कर निकल रहे थे और महिला की दशा पर अपने आंसू व व्यवस्था पर बरबरा रहे थे|

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