वाराणसी: बनारस की सड़कें-गलियां भगवा लहर में सराबोर हैं। हर तरफ झंडे-बैनर और अबकी बार-मोदी सरकार के नारे हैं। दुकानों पर मोदी और नमो ‘ब्रांड’ टीशर्ट-कैप से लेकर रोटियों और ईंटों तक पर नजर आ रहा है लेकिन इन सब में अब तक खर्च हुए हैं महज 13 लाख रुपये। जी हां, बुधवार तक वाराणसी के प्रत्याशियों ने अपने चुनावी खर्च का जो ब्योरा चुनाव आयोग को दिया है उसमें शीर्ष तीन प्रत्याशियों में से सबसे कम खर्च बीजेपी ने ही दिखाया है।
अब ये किफायत है या आंकड़ों की बाजीगरी कि बीजेपी के 13 लाख आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल के द्वारा खर्च की गई राशि से तकरीबन डेढ़ गुना कम है। जी हां, अरविंद केजरीवाल बुधवार तक अपने प्रचार में 34 लाख रुपये खर्च कर चुके थे जबकि कांग्रेस के अजय राय तो इन दोनों से काफी आगे निकल गए जिन्होंने बुधवार तक 48 लाख रुपये का हिसाब चुनाव आयोग को दे दिया है।
चुनावी खर्च के मामले में यूपी की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी इन तीनों प्रत्याशियों से पीछे है और उसके उम्मीदवार ने 12 लाख रुपये खर्चे हैं। इतनी ही राशि यूपी की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बहुजन समाज पार्टी ने खर्ची है जबकि सीपीआई(एमएल) उम्मीदवार 6 मई तक 3 लाख रुपये खर्च कर चुका था।
वैसे चुनाव आयोग प्रत्याशियों के ब्योरे पर आंख मूंदकर भरोसा करने को तैयार नहीं है। उसने अपने भी पर्यवेक्षक मैदान में तैनात किए हुए हैं जो हर प्रत्याशी, उसकी गतिविधि और खर्च पर बारीक निगाह रखे हुए हैं। इनकी रिपोर्ट में खर्च का क्या आंकड़ा सामने आता है और ये प्रत्याशी के ब्योरे से कितना अलग होता है ये देखना दिलचस्प होगा।
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