फर्रुखाबाद : आज जहा देश में पारिवारिक कलह तेजी पकड रही है | विवाहिताये आत्महत्याये कर रही है कोई फांसी लगाकर तो कोई आग लगा कर | कारण चाहे जो भी हो लेकिन विवाहिता के पीहर वाले एक ही आरोप जड़ कर की उसकी बेटी को दहेज के लिए मार दिया गया | कानून के अनुसार उन्हें जेल की हवा खानी पड़ती है | लेकिन उसके पीछे बजह क्या है यह ना तो कभी कानून ने जानने की कोशिश की और ना ही समाज ने | जब की क्या अधिकतर मामलो में ससुराली ही दोषी होते है | इस समय दहेज उत्पीडन के मामले जोर पकड़ते चले जा रहे है | इन सब मामलो से दूर जनपद में एक दो परिवार यैसा भी है जो इन सब बातो से ताल्लुक नही रखता है | वंहा लडके के पक्ष में लडकी के जवान होने का इंतजार होता है और लडकी पक्ष लड़के के जबान होने का इंतजार करते है और इंतजार ख़त्म होने पर दोनों को परिणय सूत्र में बांध दिया जाता है | दोनों परिवार बीते सौ वर्षो से एक दुसरे का साथ निभा रहे है | और एक ही परिवार की दुल्हने शादी कर कर के लाई जा रही है |
यह कोई प्रथा नही बल्कि समाज को आईना दिखाने का एक तरीका है | जनपद हरदोई का ग्राम शिवपूरी जो की थाना अरवल के अतर्गत पड़ता है | जंहा से बीते सौ सालो से अपने फर्रुखाबाद जनपद में लगातार दुल्हने आ रही | दरअसल यह मुहीम आज से सौ साल पहले जनपद के थाना राजेपुर के एक छोटे से गांव निसवी से शुरु हुई थी | इसी गांव के रहने वाले मैकूलाल मिश्रा ने अपने पुत्र रामनरायन मिश्रा के माध्यम से शुरु की थी | उन्होंने ग्रांम शिवपुरी निवासी रामसेवक की पुत्री सविता देवी से अपने पुत्र का विवाह किया | सविता देवी दुल्हन वन कर अपनी ससुराल आयी | विवाह के साथ ही दोनों परिवारों के तार यैसे जुड़े की फिर कभी नही झूटे |
कुछ समय के बाद मैकूलाल का परिवार शहर क्षेत्र के मोहल्ला खडियाई में आ कर बस गया | इधर रामनरायन ने पुत्र को जन्म दिया और उनकी ससुराल पक्ष में भी एक कन्या का जन्म हुआ | समय चलता चला गया और दोनों बच्चे जवान हो गये तो दोबारा दोनों परिवारों में बातचीत शुरु हुई और रामनरायन ने अपने बेटे रमेशचन्द्र मिश्रा का विवाह अपनी ससुराल शिवपुरी से उसी परिवार की लड़की रेशमादेवी के साथ कर दिया | अब एक ही घर में सास व बहू का मायका व पिता पुत्र की ससुराल हो गयी | समाज को शीशा दिखाने की बात यह है की इस सब काम को हुए लगभग 40 साल गुजर गये थे | और अपरिवार के सदस्यों का कभी कोई विवाद नही हुआ | इसी में मिश्रा परिवार को हिम्मत दी और यह कहानी आगे बढ़ी |
रमेश चन्द्र ने शादी के 30 साल बाद अपने पूर्वजो की परम्परा को कायम रखा और 13 मई 1989 को अपने पुत्र श्याम मनोहर (लटूरी ) का विवाह भी उसी परिवार में मेवाराम की पुत्री आशा देवी के साथ कर दिया | श्याम मनोहर के भी अपने बड़े पुत्र अतुल जो की घूमना पर एक कपड़े की दुकान पर काम करता है का विवाह भी पुरानी परम्परा के अनुसार उसी परिवार के रामहरी की पुत्री रूचि के साथ तीन साल पूर्व आठ मई 2011 को कर बहू घर ले आये | श्याम मनोहर इन दिनों आलू मंडी रोड के निकट गुंजन विहार कालोनी में परिवार व बहू के साथ रह रहे है | उनका एक छोटा पुत्र सतुल भी शादी के लायक है और उसकी भी बात शिवपुरी के उसी परिवार से लगभग तय हो गयी है | श्याम मनोहर बताते है की आज के युग में होने बाले विवाह अक्सर इस लिए विगड़ रहे है और महिलाये अपने को ख़त्म कर रही है किन उन्हें किसी अपने से बुजुर्ग की बात या डांट बर्दास्त नही है यदि नई पीडी बर्दास्त करने की आदत डाले तो घरेलु हिंसा से बचा जा सकता है |
कहते है की रिश्ते ऊपर बाला ही बनाता है | और वह धरती पर आ कर मिलते है | प्रश्न उठता है तो क्या मैकूलाल के परिवार के सारे रिश्ते एक ही गांव से कैसे बन गये | यह बात किसी पुरानी परम्परा को नही आपसी समंजस्य को को एक आईना दिखाने का काम करेगी | समाज को चाहिए की वह घरेलु हिंसा के मामलो पर गम्भीरता से विचार कर उस पर ब्रेक लगाने का काम कारे ………….|