फर्रुखाबाद: अब जुगाड़ से आरोपी को न तो एफआइआर की नकल मिल सकेगी और न ही केस डायरी का पता चल सकेगा। विवेचना के दौरान एफआइआर की कॉपी उपलब्ध कराने की कार्य संस्कृति पर डीजीपी ने रोक लगा दी है। ऐसा करने वाले पुलिसकर्मियों पर अब कार्रवाई होगी।
दरअसल, मुकदमा दर्ज होने के बाद एफआइआर की कॉपी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी और केस डायरी की नकल आरोपी को जुगाड़ से मिल जाती है। संबंधित पुलिस थाने या फिर विवेचनाधिकारी से साठगांठ कर आरोपी तक सारे कागजात पहुंच जाते हैं। जबकि नियमत: ये गलत है। नियम है कि आरोपी को कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर ही वहां से नकल की कॉपी मिल सकती है।
कोर्ट से ही मिलेगी नकल
डीजीपी रिजवान अहमद ने पुलिस अधीक्षक को आदेश जारी कर साफ कहा है कि अब किसी भी सूरत में मुल्जिम को एफआइआर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और केस डायरी किसी भी दशा में न्यायालय से बाहर न उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा है कि यदि आदेशों का उल्लंघन किया गया तो संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी ने कहा कि यदि मुल्जिम को नकल चाहिए तो वह कोर्ट में नियमानुसार प्रार्थना पत्र दाखिल कर ले सकता है।