विद्युत शवदाहगृह से बचेगा गरीब का कर्ज और गंगा की गंदगी

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FARRUKHABAD : जिले में सर्वोदय मण्डल ने पुनः एक बार विद्युत शवदाहगृह बनाने की मांग को गति प्रदान की। जिसको लेकर शमशान घाट पर शव दाह करने आये कुछ लोगों ने इसे शतप्रतिशत सही करार दिया और कहा कि विद्युत शवदाहगृह बनने से गरीब और गंगा दोनो का उत्थान होगा।kailash

पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर के याकूतपुर निवासी कैलाश वर्मा ने कहा कि वर्तमान में महंगाई इतनी चरम पर है कि गरीब आदमी को अपने किसी मृत परिजन को शमशान घाट पर अंतिम संस्कार करने में ही कई हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उसकी मजबूरी और सामाजिक दबाव उसे ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है। अगर पैसे नहीं हैं तो वह दूसरों से कर्ज लेकर यह रश्म अदा करता है। शवदाह के लिए लकड़ियां भी घाटों पर औने पौने दामों में बिक रहीं हैं, जिसमें हजारों का खर्चा है। विद्युत शवदाहगृह बनने से बमुश्किल 500 रुपये खर्च होने के बाद शव का शकुशल अंतिम संस्कार किया जा सकेगा और गंगा गंदगी से भी बचेगी।

जनपद एटा से आये उदयवीर सिंह ने मांग की कि जिस तरह से बड़े पैमाने पर घटियाघाट स्थित स्वर्गधाम पर शव अंतिम संस्कार के लिए गैर जनपदों से आते हैं लेकिन यहां शौच की व्यवस्था न होने की बजह से गंगा तट पर ही कई लोग मल त्याग करते हैं। स्थानीय लोग भी इसमें बराबर के भागीदार हैं। शासन प्रशासन को चाहिए कि घाट पर शौचालय का निर्माण करवाये। जो गंगा की गंदगी को रोकने में अहम  भूमिका अदा करेगा। वहीं ट्रीटमेंट प्लांट व विद्युत शवदाहगृह लगने से गंगा अविरल व निर्मल हो जायेगी।

ग्राम सलेमपुर से शव दाह करने पहुंचे महेशचन्द्र ने भी कहा कि विद्युत शवदाहगृह शव का अंतिम संस्कार करने की आधुनिक तकनीक है जो महानगरों में पहले से ही देखने को मिलती है। हाईकोर्ट ने विद्युत शवदाहगृह लगाने के पहले ही प्रत्येक जनपद के जिलाधिकारी को दिये हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। विद्युत शवदाह गृह गंगा की गंदगी से निजात पाने के लिए वरदान साबित होगी।

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सलेमपुर से ही आये रामप्रकाश ने कहा कि विद्युत शवदाहगृह में जल्दी शव का अंतिम संस्कार हो जायेगा। घंटों बैठकर चिता जलाने का इंतजार नहीं करना पडेगा। इससे यह भी फायदा होगा कि कुछ गरीब  लोग जो लकड़ियों की व्यवस्था नहीं कर पाते। जिससे उनके मृत परिजनों के अधजले शरीर ही गंगा में प्रवाहित कर दिये जाते हैं। शवदाहगृह बन जाने से गरीब आदमी को इस अनावश्यक सामाजिक दबाव से मुक्ति मिलेगी और बिजली न होने पर महज एक सिलेण्डर में ही एक शव का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा।