कर्मचारी हड़ताल पर तीसरे दौर की वार्ता रही बेनतीजा

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STRIKEलखनऊ: राज्य कर्मचारियों की हड़ताल में हाईकोर्ट के दखल के बावजूद सरकार की बेरुखी से दसवें दिन गुरुवार को भी हड़ताली अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के निर्देश पर गुरुवार को प्रमुख सचिव कार्मिक राजीव कुमार और हड़ताली कर्मचारियों के शीर्ष संगठन उप्र कर्मचारी अधिकारी मंच पदाधिकारियों के बीच हुई तीसरे दौर की वार्ता भी विफल रही। महत्वपूर्ण यह है कि हड़तालियों पर आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू किए जाने के बाद भी कोई असर नहीं दिखाई दिया। प्रदेश के सभी कार्यालयों में हड़तालियों ने धरने-प्रदर्शन और सभाएं कर सरकार पर मांगें पूरी करने का दबाव बनाया। वहीं, आवश्यकचिकित्सा सेवा ठप करने वाले कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर गुरुवार से सभी सेवाएं शुरू कर दी हैं।
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हाईकोर्ट के निर्देश पर गुरुवार शाम फिर हड़ताली कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों को शासन द्वारा बातचीत के लिए बुलाया गया था। शासन के साथ बेनतीजा वार्ता के बाद मंच के पदाधिकारियों ने मंडल और जिलों में व्यापक असर दिखाने की रणनीति बनाने का निर्णय किया है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार जबतक उनकी मांगों पर शासनादेश जारी नहीं कर देती तब तक वे कामकाज ठप रखेंगे। उप्र राज्य कर्मचारी अधिकार मंच के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी और अजय सिंह ने कहा है कि शासन हाईकोर्ट के निर्देश पर वार्ता कर हड़ताल समाप्त कराने के बजाए खानापूर्ति करने का काम कर रहा है।

वहीं, अपनी मांगों पर अड़े हड़ताली कर्मचारियों ने लखनऊ में स्वास्थ्य भवन परिसर में एकजुटता दिखाई। शुक्रवार को वाणिज्य कर आयुक्त भवन और शनिवार तहसील मुख्यालयों सभा करने का एलान किया है।

उल्लेखनीय है कि हड़ताल समाप्त कराने को लेकर गत दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद गुरुवार को लखनऊ बेंच ने भी सरकार को हड़तालियों से बातचीत कर हड़ताल समाप्त कराने का निर्देश था।

केंद्रीयकर्मियों का समर्थन : सरकार द्वारा एस्मा लगाए जाने का विरोध करते हुए केंद्र सरकार के कर्मियों ने भी हड़ताल का समर्थन दिया है। गुरुवार को ऑल इंडिया बैंक कर्मचारी व बीएसएनएल के कर्मचारी संगठनों ने समर्थन देने का एलान किया है।

अनुपस्थिति से फंसा पेंच : शासन द्वारा कर्मचारियों की मांगों पर गठित समिति के अध्यक्ष कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) के वार्ता में अनुपस्थित रहने की वजह गैर वित्तीय भार वाले मांगों पर भी सहमति नहीं बनी। हड़ताल समाप्त करने को लेकर कर्मचारी संगठन पदाधिकारियों का कहना था कि सरकार गैर वित्तीय भार वाले मांगों पर शासनादेश जारी करे कर्मचारी काम पर लौट जाएंगे।