मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगे पर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, लेकिन हकीकत बहुत कड़वी है। दंगे की जड़ रहे कवाल कांड के बाद सपा नेताओं के पॉलिटिकल प्रेशर ने किस तरह पुलिस के हाथ बांध दिए थे, उसका सच खुद पुलिसवालों ने ही उजागर कर दिया है। मंगलवार को एक न्यूज चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण किया तो पुलिस-प्रशासन और सियासी हलकों में खलबली मच गई।
खुफिया कैमरे में सीओ जानसठ जगतराम जोशी और एसडीएम आरसी त्रिपाठी के अलावा एसपी क्राइम कल्पना सक्सेना, एसओ फुगाना आरएस भगौर, एसओ शाहपुर सत्यप्रकाश सिंह, एसएचओ भोपा समरपाल सिंह, एसएचओ मीरापुर एके गौतम और हटाए गए इंस्पेक्टर बुढ़ाना ऋषिपाल सिंह भी बोलते नजर आ रहे हैं।
वह साफ कहते दिखाई दे रहे हैं कि कवाल में शाहनवाज और मलिकपुरा के दो युवकों की हत्या के बाद तलाशी अभियान चलाकर सात संदिग्ध आरोपियों को हिरासत में लिया था। तभी एक कद्दावर सपा नेता ने फोन कर सातों को छुड़वा दिया। एफआईआर भी फर्जी कराई गई।
एसएचओ मीरापुर बोल रहे हैं कि सपा नेता ने डीएम-एसएसपी को हटवाया जबकि दोनों अधिकारी अच्छा काम कर रहे थे। हिरासत में लिए युवकों को भी छुड़वा दिया।
एसएचओ भोपा समरपाल सिंह कह रहे हैं कि कवाल कांड के बाद डीएम-एसएसपी का तबादला गलत हुआ। यदि चार दिन बाद तबादला होता, तो शायद दंगा नहीं होता।
गौरतलब है कि दंगे की आग जब बुढ़ाना, फुगाना और शाहपुर के देहात क्षेत्र में पहुंची तो वहां पुलिस फोर्स की भारी कमी रही। जब तक फोर्स पहुंची, तब तक बहुत कुछ हो चुका था।
उधर, स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण होने के बाद मुंह खोलने वाले पुलिस वालों पर गाज गिरनी शुरू हो गई। एसएसपी ने एसओ फुगाना आरएस भगौर को लाइनहाजिर कर दिया।
स्टिंग के बाद बदले बयान
एसएचओ मीरापुर एके गौतम:पहले बयान दिया कि डीएम-एसएसपी का तबादला गलत किया गया, सपा नेताओं ने तबादला कराया। काफी दिन से नेता इसके प्रयास में थे। डीएम कोई गलत काम नहीं कर रहे थे। एके गौतम से मंगलवार को फोन पर बात हुई, तो वह बोले कि मैंने ऐसा बयान नहीं दिया, बल्कि कहा था कि तबादला तो शासन का निर्णय है।
सीओ जानसठ जगतराम जोशी:खुफिया कैमरे में सीओ जानसठ कह रहे हैं कि दबाव डालकर सात संदिग्ध आरोपियों को छुड़वाया गया, हम मजबूर थे। जबकि अब सीओ कह रहे हैं कि कोई दबाव नहीं था। संदेह के आधार पर उन्हें थाने लाया गया था। पूछताछ में सही न पाए जाने पर छोड़ दिया गया।
क्या कहा अफसरों ने
बहुत कुछ पॉलिटिकल है:मैं क्या कहूं… बहुत कुछ पॉलिटिकल है। मुस्लिमों को लग रहा है …. हिंदुओं को लग रहा है कि मुस्लिम एपीजमेंट (तुष्टीकरण) बहुत हो रहा है।-कल्पना सक्सेना, एसपी क्राइम मुजफ्फरनगर
ऊपर से आदेश आया कि छोड़ दो:हत्या के बाद सात-आठ लोगों को पकड़ लिया था। चश्मदीदों ने उनके नाम बताए थे। लेकिन एफआईआर फर्जी करा दी गई। पकड़े गए लोगों में से सिर्फ एक का नाम था। बाद में ऊपर से आदेश आ गया उनको छोड़ने का। कहा गया कि जब एफआईआर में नाम नहीं है तो डिटेन करने की क्या जरूरत है।-जे आर जोशी, सीओ जानसठ
कोई भी घटना होती है… नेता तुरंत आकर बैठ जाते हैं
पकड़े गए लोग प्राइम सस्पेक्ट थे। लेकिन उन्हें छोड़ने के लिए कह दिया गया। वही मेजर मिस्टेक हुई। दूसरी कम्युनिटी में गलत मैसेज चला गया। दुर्भाग्य है पूरे देश का, इस सिस्टम का, जैसे कोई घटना होती है… नेता तुरंत आकर बैठ जाते हैं।-आरसी त्रिपाठी, एसडीएम जानसठ
जो हो रहा है होने दो…
पुलिस मौके पर पहुंच गई थी लेकिन कम थी। अफसरों से घंटो संपर्क नहीं हो पाया। असलहा ज्यादा थे नहीं। जो थे वे चल नहीं रहे थे। आजम प्रेशराइज कर रहे थे। उन्होंने कहा जो हो रहा है होने दो आप कुछ नहीं करेंगे।-आर एस भगौर, एसआई फुगाना
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सब पॉलिटिकल स्टंट है
पहले वाले डीएम एसएसपी घटना मैनेज कर लेते। ये सच है कि इस घटना में हत्या हुई। लेकिन ये भी सच है कि हत्या के बावजूद घटना ने कोई सांप्रदायिक रंग नहीं लिया। दिक्कत तब शुरू हुई जब डीएम और एसएसपी ने घर घर तलाशी लेनी शुरू की। इस पर उनका तबादला कर दिया गया। सब पॉलिटिकल स्टंट है। सपा के लोग उन्हें हटवाने में जुटे थे। डीएम -एसएसपी उनके काम नहीं कर रहे थे राइट या रांग।
-अनिरुद्ध कुमार गौतम, एसएचओ मीरापुर
डीएम एसएसपी का तबादला गलत
डीएम-एसएसपी ने पूरा गांव घेरकर सर्च कराया था। उनका तबादला करने का फैसला गलत था। अगर चार दिन बाद तबादला करते तो दंगा न होता।-समरपाल सिंह, इंस्पेक्टर भोपा
पहली बार शहर के बजाए गांवों में दंगे हुए
पहली बार शहर के बजाए गांवों में दंगे हुए। फोर्स की कमी थी। मेरे पास 20 सिपाही और कुछ दारोगा थे। एक जगह जाते तो दूसरी जगह हिंसा शुरू हो जाती।-ऋषिपाल सिंह, एसएचओ बुढ़ाना