नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के इटावा में बनने वाले लॉयन सफारी में गीर के मशहूर शेर दहाड़ेंगे। गुजरात की मोदी सरकार ने यूपी सरकार की मांग पर चार शेर भेजने पर हामी भर दी है। मोदी सरकार के इस रुख पर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर, मोदी सरकार ने मध्य प्रदेश को ये शेर न देने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक में लड़ाई लड़ी। जबकि वहां बीजेपी की सरकार है। फिर समाजवादी पार्टी की सरकार पर ये मेहरबानी क्यों?
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मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने 15 मार्च 2012 को यूपी की सत्ता संभालते ही इटावा में गंगा किनारे लॉयन सफारी एंड एशियाटिक लायन ब्रीडिंग सेंटर की स्थापना का एलान किया था। इस योजना पर तेजी से काम चल भी रहा है। लेकिन जरूरत थी शेरों की तो मुख्यमंत्री अखिलेश ने नरेन्द्र मोदी सरकार को पत्र लिखा और जल्दी ही चार चार शेर देने का भरोसा मिल गया। लेकिन गुजरात सरकार के इस फैसले पर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। मध्य प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार है। लेकिन मोदी सरकार ने वहां शेऱ भेजने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया। और शिवराज सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद मामला लटका ही हुआ है। ऐसे में यूपी के बीजेपी नेताओं को जवाब देना मुश्किल हो रहा है।
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यूपी बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गुजरात के शेर की जरूरत है इसलिए वहां का शेर आ रहा है। मध्य प्रदेश में तो हमारी सरकार है भला वहां क्यों शेर भेजे जाएंगे, रिश्तों की बात नहीं है, अब ये किसी सियासत का मुद्दा नहीं है। ये सीधे दो सरकारों के बीच का मामला है। क्यों भेजा यहां, वहां क्यों नहीं भेजा ये तो सरकारें जानें।
उधर, बात-बात पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोंकने वाले समाजवादियों के अपने तर्क हैं। समाजवादी पार्टी विधायक रविदास महरोत्रा के मुताबिक यूपी ने चार शेर मांगे थे। दो भेज दिए गए हैं और जहां तक शिवराज सरकार की बात है तो पूरी दुनियां जानती है कि नरेन्द्र मोदी और शिवराज में पटती ही नहीं है। बीजेपी दो हिस्सों में बंट गई है। शिवराज, अडवाणी समर्थक हैं और मोदी अलग है। इसलिए मोदी वहां पर शेर नहीं भेज रहे हैं। बाकी इसमें कोई सियासत नहीं है।
खबर है कि गुजरात के जूनागढ़ के सकरबाग जू से शेर उत्तर प्रदेश भेजे जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मध्यप्रदेश को शेर न देने और अखिलेश के एक पत्र पर शेर दे देने की बात को मोदी के मिशन 2014 से जोड़ कर देखा जा रहा है। मोदी ने संदेश दिया है कि समाजवादी पार्टी चाहे उनसे दूरी रखती हो, वे मौका पाकर करीब लाने या करीब जाने का मौका छोड़ेंगे नहीं।