गंगा का जल स्तर खतरे के निशान के निकट, हाई अलर्ट घोषित

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FARRUKHABAD : मैदानी भागों में रुक रुक कर हो रही बारिश व विभिन्न बैराजों से छोड़े जा रहे पानी से गंगा का जल स्तर सोमवार को बढ़कर खतरे के निशान के निकट 136.90 मीटर पर पहुंच गया है। जिससे गंगा के किनारे बसे ग्रामीणों की मुसीबतें और भी बढ़ गयी है। प्रशासन की तरफ से गंगा व रामगंगा में बढ़ रहे जल स्तर को देखते हुए हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंच जाने की चेतावनी दे दी गयी है।

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गंगा व रामगंगा में लगातार छोड़े जा रहे पानी से बाढ़ ने एक बार फिर विकराल रूप धारण कर लिया है। अब तक सामान्य बाढ़ को झेल चुके ग्रामीण आश्वस्त हो गये थे कि अब शायद इससे अधिक गंगा का जल स्तर नहीं बढ़ेगा तो उन्हें अपना आशियाना छोड़ना नहीं पड़ेगा। लेकिन नरौरा बांध से गंगा में सोमवार को 1 लाख 74 हजार 513 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से मंगलवार को और अधिक गंगा के जल स्तर में वृद्वि होने की संभावना जतायी जा रही है। सोमवार को गंगा का जल स्तर पांच सेमी बढ़कर 136.90 मीटर पर पहुंच चुका है। रामगंगा का जल स्तर 135.95 मीटर पर पहुंच गया है। रामगंगा में सोमवार को 21639 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।

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दोनो नदियों में एक साथ छोड़े गये पानी से मंगलवार को बाढ़ का सैलाव और अधिक बढ़ने की संभावना जतायी जा रही है। प्रशासन की तरफ से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए प्रशासन की तरफ से नावें उपलब्ध करायी गयी हैं। लेकिन अधिकांश ग्रामीण अपने घरों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। कुछ ग्रामीणों ने अपने पशु व कीमती सामान पहले ही रिश्तेदारियों में पहुंचा दिया है। झोपड़ी इत्यादि में खाने पीने की चीजों को रखकर वह बाढ़ की निगरानी कर रहे हैं।

वहीं प्रशासन की तरफ से मात्र बाढ़ चैकियों पर निगरानी बढ़ाने के अलावा बाढ़ पीडि़तों के लिए अन्य कोई सुविधा की व्यवस्था नहीं की गयी है। ग्रामीणों का भी कहना है कि प्रशासन घर खाली करने का तो फरमान जारी कर देता है लेकिन उनके सामान इत्यादि को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने एवं उसकी सुरक्षा रखने की कोई व्यवस्था नहीं करता। जिससे उनके लिए घर छोड़ना भारी समस्या बना हुआ है। वही मंगलवार तक हालात और अधिक खराब होने के आसार के चलते गंगा तट के किनारे बसे गांवों में हड़कंप की स्थिति मची हुई है। प्रशासन की तरफ से सम्बंधित तहसीलों के उपजिलाधिकारियों को ग्रामीणों की सुरक्षा की जिम्मेदारियां सौंपी गयी हैं।