नई दिल्ली/गांधीनगर। लोकसभा चुनावों से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कई रूप में प्रोजेक्ट किया जाएगा। इसके लिए जातीय समीकरणों, पृष्ठभूमि और आकांक्षाओं आदि को ध्यान में रखकर मोदी को आइकन के तौर पर पेश किया जाएगा। इसके लिए राज्य स्तर पर माइक्रो फीडबैक के आधार पर ब्रांडिंग मॉल तैयार किया है।
गरीब-गुरबा और पिछड़े वर्ग के आइकन:
बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों के ग्रामीण इलाकों में मोदी को गरीब-गुरबों और पिछड़ी जाति से जोड़ा जाएगा। इस वर्ग के आइकन के रूप में मोदी की चर्चा हो, इसके लिए चाय-पान की दुकानों और हाट-बाजार में भाजपा की तरफ से यह चर्चा छेड़ी जाएगी कि मोदी शुरुआती दिनों में चाय बेचते थे। वह पिछड़ा वर्ग से हैं। भाजपा का मीडिया मैनेजमेंट इस चर्चा का अहम आधार होगा। उद्देश्य है इस वर्ग के लोगों को यह अहसास कराना कि मोदी उन्हीं की पृष्ठभूमि से हैं।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
प्रेरक छवि :
महानगरों और छोटे-बड़े शहरों में मोदी का एक बड़ा प्रेरक वर्ग है। इसमें युवाओं की संख्या अच्छी खासी है। जातीय और धार्मिक रूढ़ियों से जकड़े होने के बजाय यह वर्ग काफी जागरुक है और आगे बढ़ना चाहता है। इंटरनेट और अन्य संचार माध्यमों से यह वर्ग जुड़ा हुआ है। इस वर्ग के लिए मोदी को एस्पिरेशनल आइकन अर्थात सपनों के सौदागर के रूप में प्रोजेक्ट किया जाएगा। इस वर्ग के लिए मोदी की छवि बनाई जाएगी। इंटरनेट, यू ट्यूब, और सोशल नेटवर्किग साइट्स के जरिए भाजपा इस वर्ग को यह फील देगी कि मोदी उसी की पृष्ठभूमि से हैं जो उनके सपनों को साकार कर सकते हैं।
कारपोरेट ब्रांडिंग:
मौजूदा समय में बड़ी संख्या में उद्योगपतियों की निगाह मोदी पर टिकी है। भाजपा का मानना है कि कारपोरेट जगत काफी हद तक उनमें उम्मीद देख रहा है। फिक्की और इस तरह के अन्य फोरम के जरिए मोदी की ब्रांडिंग कर भाजपा उन्हें कॉरपोरेट और उद्योग जगत में भी चर्चा के केंद्र में रखने की कोशिश करेगी।
अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण रोकने का मंत्र:
मोदी के खिलाफ अल्पसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण नहीं हो, इसे लेकर भाजपा बेहद सतर्क है। पार्टी और मोदी का इस मामले में फंडा साफ है कि जहां भी ध्रुवीकरण की संभावना है वहां मोदी सिर्फ विकास की चर्चा करें। विकास को हिंदू और मुस्लिम, दोनों के लिए जरूरी बताते हुए ध्रुवीकरण का मौका नहीं दे।