लखनऊ : गरीबी रेखा के नीचे किसी तरह जीवन चला रहे नागरिकों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली ने महंगाई का जोरदार झटका दिया है। राशन दुकान से अब तक महज 13.50 रुपये में चीनी पा रहे राजधानी के सवा लाख से अधिक गरीब परिवारों को आपूर्ति विभाग ने खुले बाजार की महंगाई की आग में झोंक दिया है। इन परिवारों को चीनी की आपूर्ति बंद होने की कगार पर आ गई है। खुले बाजार में यही चीनी तीन गुना कीमत पर मिल रही है। अधिकारी बताते हैं कि मामला दो रुपये के फर्क को लेकर फंसा है।
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लखनऊ में सिर्फ मौजूदा मई माह तक का चीनी का कोटा उपलब्ध है। चूंकि यहां वितरण एक महीना विलंब से चल रहा है, इसलिए मई महीने के कोटे की चीनी जून तक मिलेगी, लेकिन उसके आगे की स्थिति साफ नहीं है। आपूर्ति व्यवस्था से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि चीनी पर सरकारी नियंत्रण खत्म होने से यह नौबत आ गई है। चूंकि इस बार सरकार ने लेवी की चीनी नहीं ली तो रियायती चीनी का कोई स्टॉक ही नहीं है। केंद्र ने रियायती चीनी देने की जिम्मेदारी राज्य पर छोड़ दी है। हालांकि अधिकारियों के मुताबिक केंद्र ने प्रतिकिलो 18.50 रुपये की दर से सब्सिडी देने की बात कही है, लेकिन फिर भी सामने आ रहे दो रुपये के फर्क ने चीनी की आपूर्ति पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है।
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यह है फर्क
केंद्र से 18.50 रुपये और राशन कार्ड धारक से 13.50 रुपये प्रतिकिलो मिलने के बाद राज्य को कुल 32 रुपये प्राप्त हो रहे हैं, जबकि खुले बाजार से चीनी खरीद में सरकार का खर्च करीब 34 रुपये आ रहा है। दो रुपये प्रतिकिलो के इस फर्क की वजह से बात अटक रही है। जिलापूर्ति अधिकारी बीएस दुबे ने बताया कि अभी प्रक्रिया चल रही है, इसलिए कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता, लेकिन लखनऊ में जून के बाद उपभोक्ताओं को देने के लिए फिलहाल चीनी का कोई इंतजाम नहीं है।