अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक वितरण के समय ही जानवरों के लिए बेच दिया पुष्टाहार

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SHAMSABAD (FARRUKHABAD) : जनपद में पुष्टहार कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रहा है, जिसका सीधा सा कारण अधिकारियों के इस नौनिहालों के लिए आने वाले पुष्टाहार में काली कमाई खाना बताया जा रहा है। हद तो तब हो जाती है जब ब्लाक स्तर से पंजीरी वितरण के दौरान ही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां जानवरों के लिए  panjeeri1डेरी मालिकों के हाथों पंजीरी की बोरियों को बेच देती हैं।

विकासखण्ड शमसाबाद में शनिवार को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को पंजीरी का उठान किया गया। लेकिन आगनबाड़ी कार्यकत्रियां इस पंजीरी को लेकर मात्र फैजबाग चौराहे तक ही गयीं। फैजबाग चौराहे पर पहुंचकर कार्यकत्रियों ने नौनिहालों, किशोरियों व गर्भवती महिलाओं को खिलाये जाने वाली पंजीरी पशुओं को खिलाने के लिए डेरी मालिकों व अन्य पशु पालकों को सस्ते दामों में बेच दिया।

जब इस सम्बंध में जेएनआई रिपोर्टर पंजीरी तांगे पर लाद रहे व्यक्ति से पूछने पहुंचा तो उसने बताया कि पंजीरी मंझना निवासी एक व्यक्ति के यहां वह लेकर जायेगा। उससे जब पूछा गया कि क्या मंझना निवासी वह व्यक्ति कोई आंगनबाड़ी केन्द्र चलाता है तो उसने बताया कि केन्द्र नहीं चलाता उसने किसी से वह बोरियां खरीदी हैं।

देखने वाली बात है कि जिस योजना पर केन्द्र व प्रदेश सरकार पानी की तरह पैसा बहा रहीpanjeeri है। आगनबाड़ी केन्द्रों को खोलकर उन पर सहायकायें व कार्यकत्रियों को तैनात किया जा रहा है। लाखों करोड़ों के बजट से पंजीरी, बिस्कुट व खिलौने दिये जा रहे हैं उस योजना का गरीबों व गरीबों के बच्चों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। जनपद की शायद ही कोई आंगनबाड़ी केन्द्र होगा जिस पर विभाग का उद्देश्य पूरा दिखाई दे रहा हो वरना आंगनबाड़ी केन्द्र न ही मानक के अनुरूप चलाये जा रहे हैं और न ही उनसे विभाग का उद्देश्य ही हकीकत में पूरा दिखायी दे रहा है। पुष्टाहार शुरू से ही मात्र पशुओं का निवाला बनकर रह गया है।

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आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां 25 किलो पुष्टाहार की बोरी महज 240 से 250 रुपये में विकासखण्ड से कुछ दूरी पर ही बेच देती हैं जिससे उन्हें केन्द्र तक ले जाने तक की झंझट नहीं झेलनी पड़ती और पर्श में रुपये डालकर आराम से अपने घरों को मुस्कराती हुईं निकल लेती हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण विभागीय अधिकारियों का इस गोरख धन्धे में लिप्त होना बताया जा रहा है। इसी कारण पुष्टाहार की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है।