फर्रुखाबाद: बीते 7 फरवरी को हुई प्राथमिक विद्यालय रामनगर कुड़रिया के शिक्षक एवं आरटीआई एक्टिविस्ट आनंद प्रकाश सिंह की फर्जी शिक्षकों के गिरोह द्वारा हत्या कर दिये जाने के मामले में सपा नेता उर्मिला राजपूत ने कहा है कि फर्जी शिक्षकों के गिरोह को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का पूर्णतः संरक्षण मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि आनंद प्रकाश आरटीआई एक्टिविस्ट थे और बेसिक शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। उनके द्वारा कई फर्जी शिक्षकों के कार्यरत होने का खुलासा वह स्वयं या अपने सार्थियों द्वारा आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर किया जा जा रहा था। उन्होंने दर्जनों शिक्षकों तथा विभाग के काले कारनामे खोले थे। लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत पटेल द्वारा बारम्बार समाचार पत्रों में ‘‘आनंद प्रकाश एक्टिविस्ट नहीं थे’’ का वक्तव्य देना विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने तथा उसका समर्थन करने का सन्देह उत्पन्न करता है। इससे प्रतीत होता है कि जो लोग फर्जी शिक्षकों को बचा रहे हैं वे कहीं न कहीं आनंद हत्याकाण्ड में शामिल हो सकते हैं। यही कारण है कि बेसिक शिक्षा विभाग फर्जी शिक्षकों के विषय में कार्रवाई तो दूर सूचना अधिकार के तहत मांगी गयी सूचनाओं को न देने के लिये राज्य सूचना आयोग तक बाकायदा मुकदमेंबाजी करता है। इस काम के लिये बेसिक शिक्षा विभाग का एक इंट्रीनरेंट टीचर तो जैसे रिजर्व ही है। यह कही पर विभागीय कार्य करने के स्थान पर केवल सूचना आयोग के ही चक्कर काटता रहता है। अन्यथा किसी सरकारी अधिकारी को यदि उसकी संलिप्तता नहीं है तो वह सूचनायें देने में आनाकानी करने की क्या आवश्यकता है।
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उन्होंने कहा कि आनंद राजपूत की हत्या फर्जी शिक्षकों के गिरोह द्वारा ही की गयी है। लेकिन विभागीय कर्मचारी व अधिकारी मिलकर घटना को दबाना चाह रहे हैं। जबकि मामला एक दम दूध की तरह साफ है। आनंद प्रकाश सिंह व उनके साथियों के द्वारा ही डाली गयी आरटीआई के आधार पर की गयी जांच में अब तक कई शिक्षक निलंबित होने के कगार पर आ चुके थे। जिनमें एक दो फर्जी शिक्षक को निलंबित भी किया जा चुका था। लेकिन विभाग अभी भी मामले को दबाने में जुटा हुआ है। उर्मिला राजपूत ने कहा कि यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।