अकीदत के साथ मना जलसा ए ईदमिलादुन्नवी

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फर्रुखाबाद: शहर के मोहल्ला पुलखाम स्थित दरगाह हजरत छोटे साहब व बड़े साहब में बाद नमाजे ईशा जलसा ए ईद मिलादुन्नवी में मुकामी शायरों ने अपने नातिया कलाम से महफिल में वाहवाही लूटी।

शायर एजाज हुसैन वारसी के कलाम से महफिल में सामाइन हजरात झूम उठे। एजाज हुसैन वारसी ने अपने कलाम में कहा अता किया मझुको दर्द ए उल्फत कहां थी पुरखता की किस्मत, मैं इस करम के कहां था काबिल, यह सब तुम्हारा करम है आका कि बात अब तक बनी हुई है।

इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए निजामत करते हुए हाफिज कारी मुमताज वारसी ने भी अपने कलाम से महफिल में रौनक बिखेरी। उन्होंने पढ़ा दिल रोजे ए रसूल की जाली पे रख दिया, एक फूल था जो नूर की डाली पे रख दिया। शायर तारिख ताबिश फर्रुखाबादी ने अपने कलाम में कहा मैं क्या बताऊं कि क्या क्या मिला मदीने में, हर एक दर्द की पाई दवा मदीने में।

मोहम्मद सलीम वारसी ने कलाम पढ़ा अखलाक मिसले कुरआ है सरकार आपका, नवियों में सबसे आला है किरदार आपका। हाजी मुस्तकीम वारसी ने भी अपनी अकीदत में डूबकर अपने कलाम से महफिल को अपनी ओर खींचा। उन्होंने पढ़ा- सफर देवा का है आंखे मुनब्बर होती जातीं हैं, राहे देवा भी जलवों की अमीं मालूम होता है। जलसे का आगाज कुरान ए पाक की तिलावत से किया गया। कुरान ए पाक की तिलावत हाफिज कारी तनवीर रजा ने की। सलातो सलाम के साथ जलसा ए मिलादुन्नवी का समापन किया गया।

इस मौके पर दरगाह के खादिम मोहम्मद शमीम मियां, असलम कुरैसी, आफताब अली खां एडवोकेट, जीशान खां, मोहम्मद शाबिर उर्फ पप्पू आदि मौजूद रहे।