हैप्पी बर्थ डे टू आकांक्षा: आज भी पुरानी परम्पराओं को निभा रहा आकांक्षा का परिवार

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फर्रुखाबाद: बच्चों के जन्मदिन पर जेएनआई पाठकों के लिए विशेष सुविधा जेएनआई की तरफ से मुफ्त शुरू की जा रही है। जिसके तहत अपने बच्चे के जन्म दिन की तस्वीरें और उसमें आये बच्चों के अलावा माता पिता के नाम जेएनआई कार्यालय आवास विकास लोहिया मूर्ति के पीछे भेजें या मोबाइल नम्बर 9453017100 या desk@jnilive.mobi पर सम्पर्क करें। बच्चे की जन्म दिन की पूरी खबर तस्वीर के साथ प्रकाशित की जायेगी- प्रधान सम्पादक जेएनआई-
हिन्दुस्तान की हर परम्पराओं में कोई न कोई रहस्य जरूर छिपा रहता है। लेकिन वक्त और आधुनिकता के आगे युवाओं ने परम्पराओं को ताक पर रखकर फैशन की ऐसी बहार बहाई कि परम्परायें ही गुम होती चली जा रही हैं। जमाना बदला तो जन्मदिन मनाने तक का तरीका बिलकुल ही बदल गया। अब न वह दादी के हाथ के मीठे गुलगुले रहे और न ही तिल पड़ा दूध। अब तो पिज्जा और बर्गर के जमाने में जन्मदिन पर केक काटने के साथ ही वियर, ठंडा व और न जाने कितने तरह के पेय पदार्थ पार्टियों में प्रयोग किये जाते हैं। लेकिन अभी भी कुछ लोग अपनी पुरानी परम्पराओं के अनुसार ही जन्मदिन की खुशियां मनाते हैं। इन्हीं में से एक है आकांक्षा का परिवार जहां आज भी तिल वाला दूध और मीठे गुलगुलों से जन्म दिन की शुभकामनायें और आशीर्वाद दिया जाता है। जहां आज भी जन्म दिन पर बच्चे को जन्मदिन के धागे से नापा जाता है। यह महज एक धागा नहीं होता इसमें होतीं हैं हमारी संस्कृति और परम्पराओं की महक।

सिर्फ भारतीय संस्कृति की बात करें तो आधुनिकता के दौर में मनाये जाने वाले जन्म दिन के त्यौहारों ने भारतीय संस्कृति की कमर ही तोड़कर रख दी है। उदाहरण के तौर पर पहले कहावत थी – ’’चिराग तले अंधेरा’’ जमाने के साथ कहावत बदली चिराग की जगह बल्ब ने ले ली। अब अंधेरा बल्ब के ऊपर हो गया। इसी तरह से जन्म दिन मनाने के तरीके भी बदल गये। जहां पहले दादी घी का दीपक जलाकर बच्चे की आरती उतारती थीं तो वहीं अब जन्म दिन पर जलता हुआ दीपक बुझाने की प्रथा शुरू हो गयी है। तिल के दूध की जगह अब कोल्ड ड्रिंक ने ले ली। रंगोली तो अब कहीं प्रतियोगिताओं में ही देखने को मिलती है। जन्मदिन के बदले इस तरीके ने बच्चे की सोच और उसे संस्कृति से जोड़े रहने की ललक से ही दूर कर दिया। फिलहाल अभी भी कुछ परिवारों में भारतीय संस्कृति की महक देखने को मिलती है। जहां आज भी बच्चों के जन्मदिन पर मीठे गुलगुले, घी का दीपक, तिल वाला दूध, बच्चे को नापने के लिए पीला धागा से पूजा कर आरती उतारी जाती है। इसी संस्कृति में शामिल है आकांक्षा का परिवार जहां जन्मदिन पूरे हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार ही मनाया जाता है। जहां पर आज भी बच्चे के हर जन्म दिन पर धागे से नापने के बाद उसकी लम्बाई के अनुसार गांठ लगायी जाती है। जिससे बच्चे के शारीरिक विकास और वर्षों की गणना होती है। आज आकांक्षा की दादी विमला ने आकांक्षा का जन्म दिन आधुनिकता से दूर पुराने रीति रिवाज के अनुसार मनाया। इस दौरान आकांक्षा की दोस्त सौम्या, सोना, रचना, रिंकी, दिव्या, सूरज, मिंकू आदि बच्चों ने जमकर जन्म दिन पर धमाल मचाया।