फर्रुखाबाद: बीते कुछ दिनों पूर्व एक 30 वर्षीय अज्ञात व्यक्ति को सिर में चोट के चलते लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसकी दुर्दशा का जिम्मेदार और कोई नहीं सिर्फ लोहिया अस्पताल के डाक्टर व कर्मचारी ही थे। बिस्तर पर पूरी तरह खून से सने लावारिश की दुर्दशा को देखते हुए जेएनआई ने जब उसकी खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया तो लोहिया प्रशासन ने आनन फानन में उसके आस पास व बिस्तर पर सफाई तो कर दी मगर सिर्फ दिखावटी, आखिर कई दिन मौत से लड़ते उस लावारिश को लोहिया अस्पताल के डाक्टरों की लापरवाही के चलते दीवाली के तोहफे में मौत मिली।
मरने वाला व्यक्ति किसी का पिता, किसी का भाई, किसी का पति होगा, प्रश्न इस बात का है कि बस उसको अपना कहने वाला उस समय कोई नहीं था। इसी बजह से लोहिया अस्पताल के डाक्टर व अन्य कर्मचारियों ने उसे बिलकुल ही अनदेखा कर दिया। सिर में गंभीर चोट लगी होने की बजह से न ही उसे कानपुर रिफर किया गया और न ही अस्पताल के डाक्टरों ने उसे दोबारा पट्टी इत्यादि करने की जहमत उठायी। यह नजारा देखकर बीते दिन ही अन्य मरीजों के तीमारदार लोहिया विभाग के डाक्टरों व कर्मचारियों को थू थू कर रहे थे। जेएनआई के संज्ञान में जब लोहिया अस्पताल के डाक्टरों का चेहरा सामने आया तो प्रमुखता से उसकी खबर को प्रकाशित किया। खबर प्रकाशित होने के कुछ देर बाद ही अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और तत्काल अज्ञात व्यक्ति के बिस्तर की चादर और उसके चेहरे से बह रहे खून पर मल्लम लगाई। लेकिन यह सब ड्रामा सिर्फ मीडिया के कैमरे से बचने के लिए किया गया। हकीकत तो यह थी कि जब हैड इंजरी का कोई चिकित्सक लोहिया अस्पताल में है ही नही ंतो आखिर उस लावारिश को अस्पताल प्रशासन ने सिर्फ मरने के लिए ही छोड़ रखा था। चिकित्सक भी इस बात को भली भांति जानते थे कि सिर में गंभीर चोट होने की बजह से अगर इसे इलाज न मिला तो वह मर जायेगा। आखिर लावारिश ने बीती रात में दम तोड़ ही दिया और लोहिया प्रशासन को उसके चेहरे से मल्लम पट्टी और खून से लथपथ चादर बदलने की झंझट से मुक्त कर दिया। बस बिस्तर से उठाकर उसे लोहिया के शवगृह में ठूंस दिया गया।पुलिस ने पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम कराया।