फर्रुखाबाद: पूरे जिले से शिकायतों के पुलिंदे ले कर कलक्ट्रेट आने वाले फरियादियों के आगे डीएम मजबूर नजर आ रहे हैं। इन शिकायतों को निस्तारण के लिये जिलाधिकारी जिन अधिकारियों के पास भेजते हैं, उनके पास “अन्य जरूरी काम” इतने अधिक रहते हैं कि बेचारे फिरयादियों के शिकायती पत्र ठंडे बस्ते में पड़े धूल खाते रहते हैं। सैकड़ों की संख्या में शिकायते निस्तारण के इंतिजार में अपनी मौत स्वयं मर रही हैं। कहते हैं कि न्याय में देरी, न्याया से इनकार जैसी होती है, जबकि जनपद स्तरीय अधिकारी शायद आज का काम कल पर इस लिये टालते हैं, कि हो सकता है कि कल वह काम करने की आवश्यकता ही न रहे। कई मामलों में यह सिद्धांत कारगर भी हो जाता है।
जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी की ईमानदारी व पारदर्शी कार्यप्रणाली की चर्चा सुनकर जिले भर में भ्रष्ट व्यवस्था से परेशान लोगों के मन में कहीं न कहीं न्याय की आस जगना स्वभाविक था। सो कलक्र्ट्रेट में फरियादियों का तांता लगना शुरू हो गया। डीएम ने भी शुरू में काफी तेजी दिखायी। आने वाले फरियादियों को डीएम साहब ने आश्वासनों के पुलिंदे पकड़ाये थे। बेचारे गरीब डीएम के वादों को सीने से लगाये कई कई बार कलक्ट्रेट के चक्कर पे चक्कर काटते रहे। परंतु उनकी बदकिस्मती ने साथ नहीं छोड़ा। कारण साफ था। जिनके खिलाफ शिकायते थीं , उन्ही को जांच मिल गयी थी। जाहिर है कि निस्तारण होना असंभव नहीं तो मुश्किल अवश्य था। सो गरीबों की फरियादें अधीनस्थ अधिकारियों के दफ्तरों के ठंडे बस्तों में पड़ी धूल खाती रहीं। आठ सैकड़ा से अधिक आवेदन विभिन्न अधिकारियों के पास लंबित पड़े हैं। स्थिति यह है कि अब तो जिलाधिकारी भी फिरयादियों से नजर चुराने लगे हैं। फिलहाल दो सप्ताह के अवकाश के बाद लौटे जिलाधिकारी ने एक बार फिर अधिकारियों के पेंच कसे हैं। देखते हैं कि क्या असर होता है। लंबित शिकायती पत्रों की अद्यतन स्थिति यह है………………………
अनिस्तारित शिकायतें |
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विभाग |
संख्या |
उपजिलाधिकारी अमृतपुर |
25 |
तहसील सदर |
35 |
ग्रामीण विद्युत |
80 |
बंदोबस्त अधिकारी |
50 |
मुख्य विकास अधिकारी |
58 |
थाना नबावगंज |
23 |
बेसिक शिक्षा |
33 |
जिला पंचायत अधिकारी |
15 |
जिला पूर्ति अधिकारी |
10 |
प्रभारी महिला |
43 |
पुलिस अधीक्षक |
43 |
कोतवाली मोहम्मदाबाद |
16 |
कोतवाली फर्रुखाबाद |
20 |
उपजिलाधिकारी सदर |
99 |
अन्य |
255 |
कुल |
805 |