यदि आप अपना कोई व्यवसाय कर रहे हैं या निजी प्रतिष्ठान में नौकरी करते हैं, इसके बावजूद आपने बेरोजगारी भत्ते का आवेदन कर दिया है, तो आपके लिए बुरी खबर है। सरकार ऐसे बेरोजगारों पर जांच का चाबुक चलाने जा रही है। जांच के बाद यदि आय सीमा 36 हजार से अधिक पाई गई तो उन्हें भत्ते की अगली किस्त नहीं दी जाएगी और यदि वह भत्ता ले चुके हैं तो रकम वापस भी ली जा सकती है। जांच की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों को दी गई है।
बेरोजगारी भत्ता योजना-2012 के तहत बढ़ती बेरोजगारों की कतार कम होने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश में प्रतिदिन 14 से 18 हजार बेरोजगार भत्ते के लिए आवेदन कर रहे हैं। इसकी वजह से प्रशिक्षण एवं सेवायोजन विभाग के कर्मचारी व अधिकारी परेशान हैं। बेरोजगारों के पंजीकरण पर गौर करें तो दिसंबर में प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या करीब 20 लाख थी। जनवरी से 20 सितंबर तक यह संख्या बढ़कर करीब 70 लाख हो गई है। वहीं दूसरी ओर वर्ष 2012-13 के लिए नौ लाख बेरोजगारों को भत्ता देने के मुख्यमंत्री की घोषणा के सापेक्ष अब तक 6.81 लाख बेरोजगार आवेदन कर चुके हैं।
सूत्रों की माने जो आवेदकों की लंबी लाइन को रोकने की तैयारी शुरू हो गई है। बेरोजगारी भत्ता योजना-2012 के शासनादेश के सापेक्ष सभी जिलाधिकारियों को भत्ते के लिए आवेदन करने वालों की जांच की जिम्मेदारी दे दी गई है। जिलाधिकारी ऐसे बेरोजगारों की जांच करेंगे जो जिनके बारे में बेरोजगार न होने बात सामने आएगी। यदि वे बेरोजगार नहीं हैं तो उसने 36000 वार्षिक आय का प्रमाण पत्र कैसे बनवा लिया? क्या उसकी जांच की गई? जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। तहसील में आय प्रमाण पत्र बनाने के दौरान लगने वाली रिपोर्ट के आधार पर ही आय प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसके बावजूद यदि बेरोजगारों का आय प्रमाण पत्र बनाने में लापरवाही की जा रही है तो अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। अधिकारी जहां कुछ कहने से बच रहे हैं वहीं इस बारे में प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन शैलेश कृष्ण से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन नहीं उठा।